यूपीए सरकार के दौरान राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य रहे प्रख्यात अर्थशास्त्री जीन ड्रेज को झारखंड पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। उन्होंने गुरुवार (28 मार्च) को पश्चिमी झारखंड में स्थित गढ़वा गांव से करीब 40 किमी दूर हिरासत में लिया गया था। उन पर प्रशासन की अनुमति के बिना जनसभाएं करने का आरोप है। उनके साथ-साथ दो अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया गया था। हालांकि बाद में तीनों को राजनीतिक दबाव में रिहा कर दिया गया।

‘इससे शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता’: ड्रेज को हिरासत में लिए जाने पर योगेंद्र यादव ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, ‘यह खबर हैरान करने वाली है। इतने अच्छे झुग्गियों में रहने वाले नोबेल सम्मानित, गरीबों के लिए सबसे ज्यादा काम करने वाले, सारी ताकत और गौरव का त्याग कर जीने वाले इतने अच्छे अर्थशास्त्री को हिरासत में लेना बेहद शर्मनाक है। इससे ज्यादा शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता।’

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लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पढ़ा चुके हैं: ड्रेज को ‘खाने के अधिकार’ पर काम करने के लिए जाना जाता है। बेल्जियन में जन्मे विकासवादी अर्थशास्त्री ‘हंगर एंड पब्लिक एक्शन’ के सह-लेखक भी हैं। इस किताब में आधुनिक दुनिया में भुखमरी पर प्रकाश डाला गया है। इस किताब के लेखक नोबेल से सम्मानित अमर्त्य सेन हैं। जीन ड्रेज इन दिनों दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के मानद प्रोफेसर रांची विश्वविद्यालय के विजिटिंग प्रोफेसर हैं। इससे पहले वे लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में भी पढ़ा चुके हैं।

 

अर्थशास्त्री की गिरफ्तारी के बाद से ही झारखंड की बीजेपी सरकार विपक्ष के निशाने पर है। कई बड़े नेताओं ने जीन ड्रेज के कामकाज की तारीफ करते हुए राज्य की पुलिस के इस कदम को निशाने पर लिया है।