झारखंड से हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है, जहां स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही सामने आई है। जिसका वीडियो भी सोशल मीडिया से सामने आया है। दरअसल राज्य के पलामू जिले के राजखड़ गांव की 20 साल की गर्भवती महिला को बाढ़ग्रस्त धुरिया नदी को पार करने के लिए लकड़ी की चारपाई पर ले जाना पड़ा। बताया जा रहा है कि उसे अस्पताल ले जाने के लिए एम्बुलेंस को बार-बार कॉल करने पर भी कोई जवाब नहीं मिला।

पीड़िता महिला के परिवार ने आरोप लगाया कि कई बार फोन करने के बाद भी न तो चिकित्सा अधिकारियों और न ही पुलिस ने कोई जवाब दिया। जिसके बाद गर्भवती महिला को नदी पार कराने और फिर एक निजी वाहन से लगभग 22 किलोमीटर दूर स्थित नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाने के लिए मजबूर होना पड़ा।

डॉक्टर और पुलिस बात करने के लिए कोई नहीं तैयार

इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसमें लगभग छह लोग महिला को अपने कंधों पर उठाकर तेज धाराओं में आगे बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। यह घटना सोमवार शाम की बताई जा रही है। इस मामले को लेकर हमारे सहयोगी संस्थान इंडियन एक्सप्रेस ने पलामू के स्थानीय चिकित्सा अधिकारियों और पुलिस से बात करनी चाहि, लेकिन वे इस मुद्दे पर बात करने के लिए तैयार नहीं थे। वहीं डॉक्टरों ने बताया कि महिला ने अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया और मां और बच्चा दोनों स्वस्थ और सुरक्षित हैं।

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गर्भवती महिला चंपा कुमारी के भतीजे रविकांत कुमार रवि ने बताया कि बीते सोमवार को उन्हें प्रसव पीड़ा शुरू हुई। रवि ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘उन्होंने अचानक पेट में तेज दर्द की शिकायत की। हमने कम से कम पांच अलग-अलग मोबाइल से बार-बार एम्बुलेंस के लिए फोन किया, लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया। यहां तक कि सिविल सर्जन ऑफिस और नजदीकी अस्पताल में भी फोन नहीं लगा। एक बार तो हमने नजदीक के बिश्रामपुर पुलिस प्रभारी से भी बात करने की कोशिश की, लेकिन उनका भी फोन नहीं उठा।’

10-15 साल से चल रही है पुल की मांग

कोई वाहन उपलब्ध न होने पर परिवार और पड़ोसियों ने चंपा को एक खाट पर लिटा दिया। रवि ने आगे बताया, ‘हमें धुरिया नदी में लगभग 300 मीटर छाती तक गहरा पानी पार करना पड़ा। इसके बाद हम उसे डेढ़ किलोमीटर पैदल लेकर चले और फिर किसी तरह एक निजी वाहन बुक करके सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे, जो 22 किलोमीटर दूर है। अस्पताल पहुंचने पर हमें वहां दो एम्बुलेंस खड़ी मिली।’ रवि ने आगे बताया कि अगर वो लोग आधे घंटे भी देर से पहुंचते तो शायद मां और बच्चा दोनों बच नहीं पाते।

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झारखड़ के राजखड़ में यह पहली ऐसी घटना नहीं है। धुरिया नदी पर पुल न होने के कारण दशकों से यहां के लोग तेज बहाव वाले पानी से होकर गुजरने को मजबूर हैं। रवि ने बताया कि बरसात के समय में नदी उफान पर आ जाती है और हमारा संपर्क टूट जाता है। बच्चे महीनों तक स्कूल नहीं जा पाते। जिस वजह से मरीजों को खाट पर ढोना पड़ता है और यहां तक कि हमारे गांव से शादी के प्रस्ताव भी रद्द हो जाते हैं क्योंकि हमारी कनेक्टिविटी खराब है। 10-15 सालों से हम विधायकों और सांसदों से पुल की मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।