Jharkhand News: झारखंड के टाटा नगर रेलवे स्टेशन पर शुक्रवार रात को दक्षिण बिहार एक्सप्रेस से उतरने के तुरंत बाद एक कैथोलिक नन और 19 आदिवासी नाबालिगों से लगभग पांच घंटे तक पूछताछ की गई। इस पूछताछ की वजह यह थी कि बजरंग दल के सदस्यों ने धर्म परिवर्तन के आरोप लगाए थे। हालांकि जांच कर रहे अधिकारियों और चाइल्ड हेल्पलाइन अधिकारियों को अब तक कोई सबूत नहीं मिला।
घटना के बाद ईसाई अधिकार समूहों ने आरोप लगाया है कि बजरंग दल के सदस्यों ने नाबालिगों की तस्वीरें और वीडियो भी सोशल मीडिया पर फैलाए। इस समूह में चार लड़के और 15 लड़कियां थीं। सरायकेला-खरसावां जिले के आदिवासी बहुल गांवों में किशोर जागरूकता परियोजनाओं पर काम करने वाली नन ने आरोप लगाया कि शुक्रवार शाम को जीवन कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए खरसावां से जमशेदपुर जाते समय दो लोगों ने उनका और बच्चों का पीछा किया।
भीड़ जमा हो गई और फिर…
नन ने आरोप लगाया कि वे हमारा पीछा कर रहे थे और एक बार टीटीई ने चुपचाप मुझसे पूछा कि मैं उन्हें कहां ले जा रही हूं। बाद में एक बड़ी भीड़ जमा हो गई, मानो मैं कोई अपराधी हूं। यात्रियों और टीटीई ने नाबालिगों के धर्म के बारे में पूछताछ शुरू कर दी। इस दौरान सिस्टर ने बताया कि उन्होंने टीटीई को अनुमति पत्र दिखाए जिनमें अभिभावकों और गांव के मुंडा ने बच्चों को उनके साथ जाने की अनुमति दी थी। उन्होंने कहा कि हम हर कुछ महीनों में यह कार्यक्रम आयोजित करते हैं और ये बच्चे पिछले कुछ सालों से हमारे संपर्क में हैं। यहां गैर-ईसाई परिवारों के बच्चे भी हैं, जो अब भी ईसाई धर्म नहीं, बल्कि अपने धर्म का पालन करते हैं।
कई बच्चों के पास नहीं थे आधार कार्ड
उन्होंने यह भी कहा कि कुछ बच्चों के पास आधार कार्ड नहीं थे क्योंकि उन्होंने अंतिम समय में कार्यक्रम में शामिल होने का निर्णय लिया था। उन्होंने बताया कि जब टीटीई ने कहा कि वह उन्हें पुलिस के हवाले कर देगा तो उन्होंने डर के मारे पादरी बीरेंद्र टेटे को फोन किया, जो कार्यक्रम के निदेशक भी हैं।
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विवाद पर क्या बोले टीटी?
टीटी ने आरोप लगाया कि मैं स्टेशन पहुंचा तो देखा कि नाबालिग लड़कियां प्लेटफार्म पर बैठी थीं, और वहां कोई महिला पुलिसकर्मी मौजूद नहीं थी। उन सभी को बजरंग दल के सदस्यों ने घेर रखा था, जो नाबालिग लड़कियों की तस्वीरें ले रहे थे। उनके अनुसार बच्चे शुक्रवार रात 11 बजे से शनिवार सुबह लगभग 4 बजे तक वहां रहे, कुछ देर के लिए रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के साथ, उसके बाद राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) पहुची और उनसे पूछताछ की। आखिरकार, बजरंग दल के सदस्य वहां से चले गए और बच्चों को दो गाड़ियों में कार्यक्रम स्थल तक ले जाया गया।
नहीं मिली संदिग्ध गतिविधि
चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 के एक अधिकारी प्रदीप गुप्ता ने बताया कि उन्हें अभी तक कोई संदिग्ध गतिविधि नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि चाइल्ड हेल्पलाइन की भूमिका बच्चों की भलाई सुनिश्चित करने तक ही सीमित थी। जीआरपी की पुलिस उपाधीक्षक जयश्री कुजूर ने कहा कि अभी तक किसी भी धर्म परिवर्तन की पुष्टि नहीं हुई है। जांच जारी है।
बजरंग दल की तरफ से क्या कहा गया?
दूसरी ओर बजरंग दल की स्थानीय इकाई के प्रमुख अरुण सिंह ने बताया कि ट्रेन में यात्रा कर रहे एक कार्यकर्ता ने बच्चों के हाथों में “सुरक्षात्मक धागे” देखे और उनसे पूछताछ शुरू कर दी। उन्होंने कहा कि बच्चे स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए। जब नन और पादरी से पूछा गया, तो उन्होंने दावा किया कि उनके पास माता-पिता की अनुमति है और वे बच्चों को जीवन कौशल पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए जमशेदपुर ले जा रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि बच्चे कार्यक्रम को समझने के लिए बहुत छोटे थे।
उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों को सूचना दी गई और आरपीएफ अधिकारियों ने नाबालिगों को अपने नियंत्रण में ले लिया और उनसे आधार कार्ड जैसे दस्तावेज़ मांगे, जो उपलब्ध नहीं थे। इसके बाद बच्चों को जीआरपी अधिकारियों को सौंप दिया गया। नाबालिगों की तस्वीरें और वीडियो लेने के बारे में सिंह ने कहा कि उनके सदस्यों ने ऐसा सबूत जुटाने के लिए किया था।
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