झारखंड के बोकारो में आईआरबी जवान की गोली मारकर हत्या कर दी गयी। झारखंड के बोकारो जिले में मामूली विवाद को लेकर एक व्यक्ति ने ‘इंडियन रिजर्व बटालियन’ (IRB) के एक जवान की कथित तौर पर गोली मारकर हत्या कर दी। पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी। पीड़ित जवान की पहचान चास थाना क्षेत्र के अंतर्गत आदर्श कॉलोनी स्थित यदुवंश नगर निवासी अजय यादव (25) के रूप में हुई है।

पुलिस के अनुसार, गिरिडीह जिले में तैनात अजय यादव छठ पूजा की छुट्टी पर अपने गृह क्षेत्र चास जा रहे थे और सोमवार शाम यह घटना हुई। चास के अनुमंडली पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) प्रवीण कुमार सिंह ने कहा, ‘‘किसी मुद्दे को लेकर जवान और बलराम तिवारी नाम के युवक के बीच बहस हो गई और इसके बाद उनमें हाथापाई हुई। बलराम पहले घटनास्थल से चला गया फिर कुछ देर बाद वह पिस्तौल लेकर लौटा और जवान को तीन गोलियां मार दी।’’

पुलिस अधिकारी ने बताया कि अजय को बोकारो जनरल अस्पताल (बीजीएच) ले जाया गया जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। एसडीपीओ ने बताया कि एफ़आईआर दर्ज कर ली गई है और पुलिस मामले की जांच कर रही है। आरोपी और उसके साथियों को पकड़ने के लिए कई स्थानों पर छापेमारी की जा रही है।

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दंतेवाड़ा में सीआरपीएफ जवान ने की आत्महत्या

वहीं, छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के एक आरक्षक ने सोमवार को कथित तौर पर फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि गीदम थाना क्षेत्र के जवांगा इलाके में सीआरपीएफ की 231 वीं बटालियन के मुख्यालय में आरक्षक जसवीर सिंह (46) ने अपनी जान दे दी। उन्होंने बताया कि सिंह का शव बटालियन मुख्यालय में धोबी की दुकान में फंदे से लटका मिला। अधिकारियों ने बताया कि सिंह ने यह कदम क्यों उठाया, इस संबंध में अधिक जानकारी नहीं मिली है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

छत्तीसगढ़ में तीन महीनों में आठ सुरक्षाकर्मियों ने की आत्महत्या

इस घटना के साथ ही पिछले लगभग तीन महीनों में राज्य में आठ सुरक्षाकर्मी आत्महत्या कर चुके हैं जिनमें से चार सीआरपीएफ के थे। जुलाई में विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान राज्य सरकार ने बताया था कि राज्य में (2019 से 15 जून, 2025 के बीच) साढ़े छह वर्षों में 177 सुरक्षाकर्मियों ने पारिवारिक और व्यक्तिगत समस्याओं, शराब की लत और बीमारियों सहित विभिन्न कारणों से आत्महत्या की। इनमें से 26 जवान सीआरपीएफ के थे जो नक्सल विरोधी अभियानों के लिए दक्षिण छत्तीसगढ़ में बड़ी संख्या में तैनात हैं।

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