रांची में कांग्रस मुख्यालय पर सोमवार को प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रेसिडेंट डॉ अजय कुमार को अजीबोगरीब हालात का सामना करना पड़ा। कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उनके खिलाफ प्रदर्शन किया और उन्हें जिला अध्यक्षों की एक मीटिंग में जाने से रोका। प्रदर्शनकारियों ने ‘डॉ अजय कुमार, वापस जाओ’ के भी नारे लगाए।
पार्टी के एक सूत्र ने बताया कि रांची ब्लॉक प्रेसिडेंट सुधीर सिंह, टिंकू वर्मा और आशुतोष नाथ पाठक समेत 6 लोगों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। मीटिंग के बाद अजय कुमार ने कहा, ‘यह एक प्रायोजित प्रदर्शन था जहां कुछ लोगों ने नारेबाजी की। जब मैं परिसर में घुस रहा था तो उन्होंने बाधा डालने की कोशिश की। हालांकि, अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है।’
सूत्रों के मुताबिक, कार्यकर्ता इसलिए प्रदर्शन कर रहे थे क्योंकि उनमें से कुछ विधानसभा चुनाव के लिए टिकट चाहते थे। हालांकि, प्रदेश लीडरशिप ने कुछ ‘ऊर्जावान चेहरों’ को टिकट देने का फैसला किया है। जिस मीटिंग में हंगामा हुआ, उसे बुलाने का मकसद जेएमएम और वाम पार्टियों के साथ गठबंधन की संभावनाओं पर चर्चा करना था। सूत्रों के मुताबिक, मीटिंग में 24 में से 20 जिला अध्यक्षों ने कुमार का समर्थन किया।
बता दें कि पूर्व राज्यसभा सांसद प्रदीप बालमुछू और पूर्व सांसद सुबोध कांत सहाय आम चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद कुमार की खुलकर आलोचना कर चुके हैं। नेताओं का कहना है कि हालात उस वक्त बिगड़ने शुरू हुए जब कुमार ने जेएमएम के हेमंत सोरेन को गठबंधन की ओर से विधानसभा चुनाव में सीएम कैंडिडेट के तौर पर पेश किया। सूत्रों के मुताबिक, कुमार के इतनी जल्दी यह फैसले लेने से पार्टी में कुछ नेता बेहद नाराज थे।
पूर्व कांग्रेसी मंत्री और पूर्व विधायक बन्ना गुप्ता भी कुमार की आलोचना कर चुके हैं। इसके बाद, गुप्ता को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। हालांकि, पार्टी के पुराने नेताओं को यह पसंद नहीं आया था। वहीं दूसरी ओर, कुमार के समर्थक पार्टी में व्याप्त ‘अनुशासनहीनता’ का जिक्र करते हैं।