Jhansi Hospital Fire: उत्तर प्रदेश के झांसी में राजकीय महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (Neonatal Intensive Care Unit) में शुक्रवार रात आग लगने 10 नवजात शिशुओं मौत गई थी। मरने वाले उन 10 नवजात शिशुओं का पोस्टमार्टम शुरू हो चुका है। शुक्रवार रात को दम तोड़ने से पहले सभी 10 बच्चे बुरी तरह जल गए थे।

झांसी पहुंचे उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि नवजात शिशुओं की मौत बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर हम नवजात शिशुओं के शवों की पहचान करने की कोशिश कर रहे हैं।

डिप्टी सीएम ने कहा कि पहली जांच प्रशासनिक स्तर पर होगी जो स्वास्थ्य विभाग करेगा, दूसरी जांच पुलिस प्रशासन करेगा… अग्निशमन विभाग की टीम भी इसमें शामिल होगी, तीसरा, मजिस्ट्रेट जांच के निर्देश भी दिए गए हैं।

उन्होंने कहा कि आग लगने के कारणों की जांच की जाएगी। अगर कोई चूक पाई जाती है, तो जो भी जिम्मेदार होगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। सरकार बच्चों के परिजनों के साथ है।

Jhansi Hospital Fire: पीएमओ ने किया सहायता राशि की घोषणा

पीएमओ ने किया सहायता राशि की घोषणा

पीएमओ की तरफ से कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के झांसी मेडिकल कॉलेज में आग लगने की घटना में प्रत्येक मृतक बच्चे के परिजनों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से 2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है। जबकि घायलों को 50,000 रुपये दिए जाएंगे।

प्रधानमंत्री ने इस घटना को लेकर गहर दुख जताया है। उन्होंने कहा कि हृदयविदारक! उत्तर प्रदेश में झांसी के मेडिकल कॉलेज में आग लगने से हुआ हादसा मन को व्यथित करने वाला है। इसमें जिन्होंने अपने मासूम बच्चों को खो दिया है, उनके प्रति मेरी गहरी शोक-संवेदनाएं। ईश्वर से प्रार्थना है कि उन्हें इस अपार दुख को सहने की शक्ति प्रदान करे। राज्य सरकार की देखरेख में स्थानीय प्रशासन राहत और बचाव के हरसंभव प्रयास में जुटा है।

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वहीं भाजपा नेता बृज भूषण शरण सिंह ने कहा, “ये बहुत दुखद है। मुख्यमंत्री ने जांच का आदेश दिया है। देखने वाली बात है कि जांच में क्या निकलकर आता है लेकिन ये बहुत दुखद घटना है जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है।

झांसी मेडिकल कॉलेज के शिशु वार्ड में शुक्रवार रात करीब 10.20 बजे आग लग गई थी। घटना को लेकर अधिकारियों और अस्पताल प्रशासन को तुरंत इसकी सूचना दी गई। नवजात शिशुओं को एनआईसीयू से निकालने के लिए खिड़कियों के शीशे तोड़े गए।

Jhansi Hospital Fire: मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने क्या कहा?

मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. एनएस सेंगर ने बताया कि एनआईसीयू में सभी 49 नवजात शिशुओं की पहचान हो गई है। आग में जलकर मरे बच्चों में 10 नवजात शिशुओं का पोस्टमार्टम शुरू हो गया है।

आग से झुलसे नवजात शिशुओं को मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल और निजी अस्पतालों के दूसरे वार्ड में भर्ती कराया गया है। बाकी 39 शिशुओं की हालत स्थिर बताई जा रही है, जिन्हें जलने से कोई चोट नहीं आई है।

प्रिंसिपल ने बताया कि वार्ड में लगे सभी अग्निशामक यंत्र चालू थे और आग बुझाने के लिए उनका इस्तेमाल किया गया। जून में एक मॉक ड्रिल भी आयोजित की गई थी।

प्रिंसिपल ने कहा कि हमने आग की घटनाओं से निपटने के लिए एक बड़ी योजना बनाई थी। मेडिकल कॉलेज को तीन भागों में बांटा गया था, जिनमें से प्रत्येक की देखरेख एक प्रोफेसर द्वारा की जाती थी। सभी स्टाफ सदस्यों को आग से निपटने के प्रोटोकॉल के बारे में प्रशिक्षित किया गया था, जो इस घटना के दौरान मददगार साबित हुआ।

नवजात शिशुओं को बचाने और आग बुझाने की कोशिश करते समय मेघना नाम की एक नर्स के पैर भी जल गया। उन्होंने बताया कि फिलहाल उसका इलाज चल रहा है और उसकी हालत स्थिर है।

प्रिंसिपल ने बताया कि 51 बेड वाला नया एनआईसीयू वार्ड बनाया गया है और वे एक महीने के भीतर इसे शिफ्ट करने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि नया वार्ड अधिक क्षमता को समायोजित करने के लिए बनाया गया था। नई सुविधाओं से लैस नए एनआईसीयू वार्ड का निर्माण करीब एक दशक पहले शुरू हुआ था।

Jhansi Hospital Fire: कांग्रेस सांसद ने योगी सरकार पर उठाए सवाल

वहीं झांसी अग्निकांड पर कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि झांसी में जो हुआ उसने उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश की आत्मा को झकझोर कर रख दिया है। उन सब पीड़ित परिवारों के साथ कांग्रेस और मेरी ओर से संवेदनाएं। काश योगी आदित्यनाथ की आंखें आज खुल जाएं। ‘बाटेंगे-काटेंगे-बुल्डोजर चलाएंगे’ से ऊपर उठकर उन्हें झांसी जाकर वहां के बच्चों की सुध लेनी चाहिए ताकि इस प्रकार के हादसे फिर ना हों। उत्तर प्रदेश में ये पहला हादसा नहीं हुआ। ये हादसे बार-बार योगी आदित्यनाथ की नाक के नीचे हो रहे हैं। भाजपा की ये सामूहिक नाकामी की निशानी है। कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिया जाए, दोषियों को सजा दी जाए।