जेवर में निर्माणाधीन नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के आसपास के दायरे में रहने वाले वन्य जीवों के लिए प्रस्तावित पशु बचाव एवं पुनर्वास केंद्र की महत्वाकांक्षी परियोजना को मंजूरी के लिए केंद्रीय चिड़ियाघर (जू) प्राधिकरण को भेज दिया गया है। करीब 50 हजार वर्ग मीटर (पांच हेक्टेयर) में बनने वाले इस केंद्र में जंगली पशु जैसे नीलगाय, हिरण, काले हिरण समेत हवाई जहाज से टकराकर चोटिल होने वाले पक्षियों के भी इलाज का इंतजाम होगा। गौतमबुद्ध नगर वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक करीब साढ़े चार करोड़ रुपए और एक साल की अवधि में इसे क्रियाशील करने का लक्ष्य रखा गया है। बता दें कि हवाई अड्डे के सापेक्ष बनने वन्य जीवों के लिए बनने वाला यह देश का पहला बचाव एवं पुनर्वास केंद्र है।
एयरपोर्ट के पास पशु बचाव एवं पुनर्वास केंद्र को जरूरी बताया गया
जेवर क्षेत्र में हवाई अड्डा परियोजना के आसपास बड़ी संख्या में काले हिरण, नीलगाय, हिरण, राज्य पक्षी सारस, ब्लैकबक्स (काला हिरन) समेत काफी वन्य पशु-पक्षी बड़ी संख्या में निवास करते हैं। निर्माण के दौरान और बाद में हवाई अड्डा संचालन के दौरान इन वन्य जीवों को लेकर देहरादून स्थित वन्य जीव संस्थान से जैव विविधता संरक्षण योजना तैयार कराई गई थी। जिसमें पशु बचाव एवं पुनर्वास केंद्र को जरूरी बताया गया था। इस परियोजना के तहत दस किलोमीटर परिधि में निवास करने वाले वन्य जीवों का संरक्षण किया जाना है।
गौतमबुद्ध नगर वनाधिकारी कार्यालय के मुताबिक हवाई अड्डा संचालन से पहले आसपास के इलाके में रहने वाले वन्य जीवों और उड़ान शुरू होने के दौरान टकराकर घायल होने वाले पक्षियों के लिए बेहद मददगार साबित होगा। इस केंद्र में पशु चिकित्सक, पशु शल्य चिकित्सक समेत विशेषज्ञ चिकित्सक तैनात रहेंगे। घायल जीवों को इलाज के बाद उनके प्राकृतिक आवास में छोड़ा जाएगा। हालांकि अपंग या चल-फिर नहीं पाने वाले जीवों को यहीं स्थायी रूप से भी रखा जा सकेगा। प्रभागीय वनाधिकारी पीके श्रीवास्तव ने बताया कि आगामी कुछ दिनों केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से मंजूरी मिलने की उम्मीद है। जिसके बाद इस परियोजना पर काम शुरू किया जाएगा। एक साल के भीतर इसे संचालित करने का लक्ष्य रखा गया है।
पोस्टमार्टम और मृत जानवरों को जलाने का होगा प्रबंध
हवाई अड्डे के पास बनने वाले पशु बचाव एवं पुनर्वास केंद्र में मृत जानवरों के पोस्टमार्टम और जलाने का भी इंतजाम होगा। अमूमन अभी तक मृत पालतू पशुओं को मिट्टी में दबाया जाता है लेकिन इस केंद्र में मृत वन्य जीवों को वैज्ञानिक विधि से जलाने का प्रबंध होगा।
वन्य जीवों के लिए प्रदेश में बन रहे हैं चार बड़े केंद्र
गौतमबुद्ध नगर के जेवर क्षेत्र से इतर उत्तर प्रदेश में मेरठ, गोरखपुर, चित्रकूट और पीलीभीत के बड़े क्षेत्रफल पशु बचाव एवं पुर्नवास केंद्र बनाए जा रहे हैं। चूंकि जेवर में बनने वाला केंद्र छोटा है, इसलिए यहां चीता, बाघ, हाथी जैसे बड़े पशुओं के लिए प्रबंध नहीं है। वहीं, प्रदेश में बन रहे अन्य चार बड़े केंद्रों में शेर, चीता, बाघ, हाथी समेत अन्य जीवों के बचाव, इलाज एवं पुनर्वास की व्यवस्था होगी।
शिवालिक के जंगल में छोड़े जाते हैं बाघ और चीते
वन विभाग के रेंजर के मुताबिक विगत महीनों में नोएडा से एक चीता पकड़ा गया था। इसी तरह गाजियाबाद में चार और मेरठ इलाके से 12 चीते/बाघ पकड़े गए हैं। सभी को सूचना मिलने पर वन विभाग की टीम ने बेहोशी का इंजेक्शन लगाकर पकड़ा था। जांच के बाद उन्हें जनपद सहारनपुर स्थित शिवालिक के जंगलों में छोड़ दिया गया।