बिहार में चुनाव हुए अब दो महीने से ज्यादा का समय हो गया है। हालांकि, नतीजों को लेकर अब तक साथी पार्टियों के बीच ही खटास बनी है। फिर चाहे वो राजद और कांग्रेस के बीच हो या भाजपा और जदयू के बीच। सभी दलों के बीच एक-दूसरे को धोखा देने का मामला उठता ही आ रहा है। हालांकि, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अब अपनी पार्टी के हारे हुए प्रत्याशियों और कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वे चुनाव परिणामों को भूलकर संगठन को मजबूत करें।
दरअसल, जदयू नेता इस बात से नाराज हैं कि भाजपा ने लोजपा को उसके खिलाफ प्रत्याशी उतारने से नहीं रोका। इसी के चलते कई सीटों पर जदयू को नुकसान उठाना पड़ा। कुछ सीटों पर तो लोजपा प्रत्याशियों ने सीधे तौर पर जदयू प्रत्याशियों के वोट काटे और उनके जीतने की संभावना को कमजोर कर दिया। इसी मुद्दे को जदयू के राष्ट्रीय परिषद की बैठक में उठाते हुए पार्टी नेता बोगो सिंह, ललन पासवान ने खुलकर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि हमारी हार के लिए लोजपा नहीं, भाजपा ही जिम्मेदार थी। लोजपा की क्या औकात कि वह हमें धोखा दे सके। सारा खेल भाजपा ने रचा। उसने हमारी पीठ पर छुरा घोंपकर धोखा दिया।
हालांकि, बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने बैठक के पहले दिन कहा कि सभी प्रत्याशियों को चुनाव परिणाम भूलकर जनता की सेवा का काम करना चाहिए। नीतीश ने कहा कि सभी नेता अपने क्षेत्र का वैसा ही ध्यान रखें, जैसा वे चुनाव जीतने पर करते। उन्होंने पूरे पांच साल सरकार चलाने का आश्वासन देते हुए कहा कि सीट बंटवारे में हुई देरी की कीमत उन्हें चुनाव में चुकानी पड़ी। हमारे खिलाफ गलत प्रचार किया गया। हम अपनी उपलब्धियां और काम जमीनी स्तर तक नहीं पहुंचा पाए। उन्होंने साफ किया कि वे मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते थे, पर दबाव में पद स्वीकार किया।
दूसरी तरफ बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने कहा कि कोरोनाकाल में जैसा काम हमारी सरकार ने किया वैसा देश में कहीं नहीं हुआ। लेकिन, कोरोना के कारण लोगों के बीच पहले की तरह पहुंचना संभव नहीं हो पाया। इस कारण कुछ लोग हमारे मतदाताओं को गुमराह करने में सफल रहे। हमारे नेता दिन-रात काम में लगे रहते हैं, वैसे ही हमें प्रो-एक्टिव होकर काम करना है। हमें ये हरगिज नहीं सोचना है कि हम सत्ताधारी हैं, इसलिए हमारा क्लास अलग है। कोई अहंकार हमें नहीं पालना है। उन्होंने कहा कि चुनाव में हमारे नेता की छवि और विश्वसनीयता की ही जीत हुई है।

