तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता को अपने जीवन में कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन जो सबसे बड़ी चुनौती थी, वह थी भावनाओं की। उन्हें न तो मां का समय मिला न ही पिता का प्यार मिला। जब वह दो वर्ष की थी, तभी उनके पिता का निधन हो गया था। मां फिल्मी दुनिया से थी और वह अक्सर व्यस्त रहती थीं। उनकी जिंदगी में जिस इंसान का सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा वह था मारुदुर गोपालन रामचंद्रन यानी एमजीआर। वह तमिल फिल्मों के सफल अभिनेता और तमिलनाडु राज्य के कुशल राजनेता थे। वे जयललिता की जिंदगी में आए तो उनको लेकर कुछ ज्यादा ही पजेसिव हो गए थे।
जयललिता पर लिखी वासंती की किताब के मुताबिक बाद में एमजीआर के मुकाबले काफी युवा और तमिल फिल्मों के स्टार शोबन बाबू से जयललिता की मित्रता हुई। यह मित्रता जब हुई तो उसमें गंभीरता भी आ गई। वह अंदर से उनसे प्रेम करने लगी थीं, उनसे शादी करना चाहती थीं और आम महिलाओं की तरह रहना चाहती थीं।
जयललिता की बचपन की बहुत खास मित्र चांदिनी ने इसका जिक्र किया है। उनके मुताबिक बाद में उन्होंने शोबन बाबू से शादी कर ली, लेकिन इस शादी का जिक्र और कहीं नहीं हुआ है और न ही किसी ने इसकी पुष्टि की है। मित्र ने तो शादी का एलबम भी देखने की बात कही है और बताया है कि उस एलबम को दिखाते वक्त जयललिता नई दुल्हन की तरह बेहद शर्मा रही थीं। किताब के मुताबिक बकौल जयललिता शोबन बाबू बहुत ही बेहतरीन इंसान थे।
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शादी के उस एलबम को किसी और ने नहीं देखा था। पूरी जिंदगी यह रहस्य ही बना रहा। कुछ लोगों का कहना है कि जयललिता शोबन बाबू से बेहद प्रेम करती थी, लेकिन शादी कभी नहीं की। शोबन बाबू खुद शादीशुदा थे और उनका एक किशोर उम्र का बेटा भी था। जयललिता कभी फ्लर्ट भी नहीं करती थी, वह हमेशा गंभीरता से बात करती थीं।
हालांकि बहुत कुछ रहस्य है, लेकिन कहा यह भी जाता है कि उन्होंने आयंगर रीति रिवाज से घर में ही गुप्त तरीके से शादी की थी। इस बात से अलग दूसरी चर्चा के मुताबिक यह शादी कभी हो नहीं पाई। शादी में मुख्य बाधा एमजी रामचंद्रन थे, जो उनके प्रति बेहद पजेसिव थे। इनकी वजह से यह रिश्ता टूट सा गया। इससे जयललिता की जिंदगी में फिर भावनात्मक अभाव पैदा हो गया।
किताब के मुताबिक व्यथित और टूट चुकी जयललिता ने अपनी ख्याति के शिखर पर होने के दौरान ही फिल्मों से संन्यास ले लिया और बिल्कुल अलग-थलग रहने लगीं। शायद जयललिता की किस्मत में ऐसे भावनात्मक अभाव में रहना ही लिखा था।
इन सबके बावजूद तमिल फिल्मों की ग्लैमर गर्ल से लेकर सियासत की सरताज बनने तक जयललिता की कहानी एक महिला की ऐसी नाटकीय कहानी है जो अपमान, कैद और राजनीतिक पराजयों से उबर कर बार-बार उठ खड़ी होती है और मर्दों के दबदबे वाली तमिलनाडु की राजनीतिक संस्कृति को चुनौती देते हुए चार बार राज्य की मुख्यमंत्री बनती है।