जाट आरक्षण के मसले पर मचे फसाद के आगे रेल महकमा लाचार नजर आ रहा है। जहां-तहां फंसे असहाय रेल यात्रियों को कहीं राहत नजर नहीं आ रही है। यात्रियों के लिए रेलवे की ओर रुकने का ठिकाना नहीं दिया गया। प्रतीक्षालयों में पैर रखने की जगह नहीं। दंगे के कारण रद्द ट्रेनों के टिकट के पैसे पूरे न मिलने से भी यात्री ठगे से महसूस कर रहे हैं।
रेलवे स्टेशन, आरक्षण केंद्रों से लेकर ट्रेन की आवाजाही व उद्घोषणा तक हर तरफ अफरातफरी का आलम है। जिस गाड़ी को रद्द बताया जा रहा वह चल रही, जो गाड़ी रद्द रही उसके टिकट काटे जा रहे थे। इसी तरह की तमाम अनियमितताओं से दोचार होते यात्री जगह -जगह जमीन पर, खुले आसमान के नीचे, प्लेटफॉर्म पर डेरा डाले अगली सूचना या वैकल्पिक इंतजाम का इंतजार कर रहे हैं।
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर सोमवार को उद्घोषणा चल रही थी कि अमदाबाद राजधानी रद्द है। गाड़ी रवाना होने के कुछ देर पहले तक इसे निरस्त ही कहा जा रहा था, इसके टिकट भी कैंसिल हो रहे थे, जबकि यह गाड़ी चलाई गई। जो लोग स्टेशन पर ही डेरा जमाए हुए थे वे तो इसमें सफर कर पाए जो लोग इस उम्मीद में थे कि गाड़ी नहीं जा रही है कल टिकट रद्द करा लेंगे वे न तो सफर कर पाए न ही उन्हें टिकट रद्द कराने के पैसे मिलेंगे क्योंकि नियमत: अगर ट्रेन नहीं गई होती तभी उनके पैसे वापस होते।
इसके तमाम यात्री ऐसे थे कि उन्हें गलत सूचना के कारण अपनी यात्रा टालनी पड़ी। इसी तरह से गाड़ी संख्या 12455 बीकानेर जाने वाली थी उसे रद्द कर दिया गया था। लेकिन केंद्रीय आरक्षण केंद्र से नहीं तमाम आरक्षण केंद्रों पर इसके टिकट सोमवार को भी जारी किए जा रहे थे। सुरजीत सिंह ने बताया कि गाड़ी संख्या 22401 सराय रोहिल्ला से जम्मू जानी थी। मेरे देस्त को जाना था। नंबर 139 से पता चला कि गाड़ी रद्द है। रेलवे की वेबसाइट पर भी ट्रेन रद्द दिखाई जा रही थी। लेकिन जब मेरे दोस्त अजय टिक्कू ने आॅनलाइन लिया हुआ अपना टिकट रद्द करवाया जिसका पीएनआर नंबर 2860722670 ,तो आधा पैसा कट गया। टिकट था 955 रुपए का लेकिन पैसे वापस आए केवल 460 रुपए।
इसी तरह से काउंटर पर टिकट रद्द कराने के लिए लाइन में लगे एक अन्य यात्री ने बताया कि वे बंगलुरु से आ रहे हैं और उनका टिकट फिरोजपुर तक था। लेकिन अब आगे गाड़ी रद्द है तो हमें दिल्ली में ही उतार दिया। कह रहे हैं कि दिल्ली से फिरोजपुर तक का ही किराया वापस होगा। यहां रुकने का कोई ठिकाना नहीं है। स्टेशन पर ही रात गुजारनी होगी।
यहीं पर डेरा डाले जय गुरुदेव के चेलों का जत्था भी है। लाल चोगे में लिपटे इस जत्थे को गोरखपुर से लाकर गाड़ी ने यहां उतार दिया। इस टोली के अगुआ ने बताया कि वे स्टेशन पर इसलिए डेरा डाले हैं कि उन्हें मुंबई जाना है। इसलिए अभी पता नहीं कितना समय लगेगा। पूरी टोली को बाहर ठहराने का जो खर्च आएगा वह हम कहां से लाएंगे। बस का साधन भी नहीं है। प्लेटफॉर्म पर ही बिहार जाने के लिए मजदूरों का जत्था भी भूखे-प्यासे बैठा है। इन यात्रियों के अगुआ राम महतो ने बताया कि उन्हें दरभंगा जाना था आठ बजे। गाड़ी रात में है इसलिए अभी से आ गए थे कि पहले पहुंचेंगे टिकट भी लेना है और लाइन में लगेंगे तभी गाड़ी में चढ़ पाएंगे। वे हरियाणा व पंजाब के गांवों में मजदूरी करते हैं। यहां आए तो पता चला कि गाड़ी रद्द है।
यही हाल सराय रोहिल्ला, निजामुद्दीन व दिल्ली मेन का भी था। दूर-दराज के आरक्षण केंद्र से लेकर रेलवे केंद्रीय आरक्षण, रेलवे प्रतीक्षालय व आसपास के इलाकों में भी ऐसी ही अफरातफरी व लंबी लाइनें नजर आ रही हैं। रेल आरक्षण केंद्र में चसखंड एक्सप्रेस व पश्चिम एक्सप्रेस के यात्री इस बात को लेकर झगड़ रहे थे कि उन्हें आगे की यात्रा गाड़ी रद्द होने के कारण छोड़नी पड़ रही। पैसा भी आधा मिला। न तो कहीं रुकने का इंतजाम है न प्रतीक्षालय में जगह बची है। मंगलवार को भी चंडीगढ़ शताब्दी व देहरादून जनशताब्दी रद्द रही। लेकिन इसके टिकट भी जारी किए जा रहे थे।