मेहनत का असर
नई दिल्ली जिले में एक पुलिस अधिकारी अपने आप को अपने विभाग के मुखिया से भी ज्यादा मेहनती मानते हैं। वह बातों-बातों में कहते हैं कि जिस तरह वह दिन रात काम करते हैं उस हिसाब से उनकी दोहरी ड्यूटी गिननी चाहिए। बात तो वह सच ही कहते हैं, वह हैं भी ऐसे क्षेत्र में जहां दोहरी ड्यूटी करना उनके लिए वाजिब और जरूरी भी है। बेदिल ने पता लगाया कि यह मेहनत का ही असर है कि जितनी अवैध दुकानें और ठेले वाले नई दिल्ली जिला जैसे वीवीआइपी क्षेत्र में दुकान लगाते हैं उनको इसकी इजाजत मिलना इतना आसान नहीं है। लेकिन ऐसे मेहनती अफसरों के चलते उनका भी घर चल जाता है। कनॉट प्लेस में हनुमान मंदिर के पास तो इन्हीं दुकानदारों से भीड़ की रौनक बनी रहती है। अब इतने लोगों की आवभगत कोई कैसे एक ड्यूटी में कर सकता है, उसके लिए तो दोहरी क्या तिहरी ड्यूटी भी कम पड़ जाए।
बदनामी में नाम
पिछले दिनों दिल्ली पुलिस ने 50 हजार के इनामी बदमाश को हत्या के मामले में गिरफ्तार किया है। यह कोई और नहीं बल्कि एक निगम पार्षद का बेटा बताया जा रहा है। बेदिल को खबर मिली कि जिस इनामी बदमाश को गिरफ्तार किया गया है उनके पिता पहले से सजायाफ्ता हैं। लेकिन निगम चुनाव जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ते और जीतते भी हैं। अब उनके पुत्र को भी ऐसा तमगा मिल गया जिससे इलाके में धाक जम गई। हो सकता है कि आगे चुनाव में उनकी भी जीत पक्की हो जाए। वैसे यह कोई नई बात नहीं है। बाहरी दिल्ली में ऐेसे वाकये आम है। अब नजफगढ़ के किशन पहलवान को ही देख लें।
बेकाम का आदेश
कोरोना काल में सरकारी विभागों की ओर से जो भी आदेश जारी हुए उसका असर कम दिखता है या फिर दिखता ही नहीं। अभी पिछले दिनों निजी अस्पतालों और प्रयोगशालाओं में शुल्क तय करने और कालाबाजारी रोकने के लिए तमाम आदेश जारी हुए लेकिन इसकी अवहेलना के मामले भी उतने ही सामने आए। अब हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने सीटी स्कैन कराने के बाबत लिए जाने वाले शुल्क को 2500 रुपए तक तय कर दिया। जांच की गुणवत्ता के आधार पर इस शुल्क को तीन श्रेणियों में निर्धारित किया गया। लेकिन फिर भी अस्पतालों में इससे ज्यादा वसूली की शिकायतें मिलीं। सीटी स्कैन को लेकर पहले ही स्वास्थ्य मंत्रालय और कई बड़े डॉक्टर नसीहत दे रहे हैं कि जरूरत पड़ने पर ही कराएं। ऐसे में जब कोई शुल्क पर सवाल कर दे तो अस्पताल प्रबंधन तुरंत सीटी स्कैन की जांच को कराने से मना कर देते हैं। ऐसे ही कई मामले बेदिल को मिले, जिसमें मरीजों को डॉक्टरों के अलावा और किसी का आदेश नाफरमानी लगा। वे ज्यादा पैसे देकर जांच कराने को तैयार दिखे।
फिर फिसला मौका
दिल्ली पुलिस की जिला टीमें हाई प्रोफाइल मामले का खुलासा करने में एक बार पिछड़ गई और बाजी मारी स्पेशल सेल ने। इस बार मामला ओलंपिक पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार से जुड़ा है, जिसे स्पेशल सेल की टीम ने गिरफ्तार किया है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब जिला पुलिस की कई टीम किसी आरोपी या फिर बदमाश के पीछे हाथ धोकर पड़ी हो और बाजी कोई और टीम मार ले जाए। जबकि जिला पुलिस के कई तेज-तर्रार अधिकारी और पुलिसकर्मी फरार चल रहे इनामी बदमाश और उसके सहयोगी को गिरफ्तार करने में कई राज्यों में खाक छान रहे थे। मजे की बात तो यह है कि जिला पुलिस दिल्ली-एनसीआर के अलावा कई राज्यों में संभावित ठिकाने पर छापामारी करती रही और आरोपियों को दिल्ली के मुंडका से गिरफ्तार कर लिया गया। यह भी अपने आप में पुलिस की खुफिया जानकारी को लेकर चौंकाने वाला है।
नाम की बंदी!
जी हां, दिल्ली की पूर्णबंदी पर अब यह बात सटीक बैठती है। पूर्णबंदी में भी सड़क पर लोगों का दिखना जारी है। दुकाने बंद हैं तो क्या है सामान आपको मिल सकता हैं! ऐसा ही एक नजारा दिखा बीते दिनों नांगलोई इलाके में। यहां दुकान-बाजार के आगे दो चार लोग आपको मिल जाएंगे जो आपको सामान लेने के बारे पूछते नजर आएंगे। जैसे ही आपने फरमाइश की, एक बंदा आपको दुकान तक ले जाएगा। शटर खुलेगा और आपको सामान मिल जाएगा। सामान खरीदकर लौट रही एक महिला की उसके पति पर कटाक्ष लोगों के बीच तफरी का विषय बनता दिखा। दरअसल पति पूर्णबंदी का हवाला देकर खरीदारी को तैयार नहीं थे, लेकिन पत्नी ने तो पति संग बाजार पहुंच सफल खरीदारी कर दिखा भी दी। दरअसल उन्हें पड़ोसियों से खरीदारी की हकीकत पता जो था पत्नी के इस तिगड़म वाले सफलता पर पति के मुस्कुराने के सिवा कोई और चारा नही था । कहना न होगा कि वे खुद से ज्यादा सिस्टम पर तरस खा रहे होंगे!
-बेदिल

