अमरनाथ गुफा की खोज एक मुस्लिम चरवाहे बूटा मलिक नाम के शख्स ने की थी। बूटा मलिक भेड़ बकरियां चराते थे। उसी दौरान वह गुफा के पास पहुंच गए थे जहां पर उनकी एक साधु से मुलाकात हुई थी। फिर बाद में कश्मीर के राजा गुलाब सिंह को भी जानकारी दी गई और उसके बाद फिर अमरनाथ गुफा में शिवलिंग मिला। हालांकि बूटा मलिक का परिवार अब श्राइन बोर्ड से काफी परेशान है।

सन 1820 में जब बूटा मलिक गुफा के पास पहुंचे थे। इस दौरान वहां पर जब उनकी एक साधु से मुलाकात हुई तो वहां पर काफी ठंडक थी। इस दौरान साधु ने उन्हें वहां पर जलाने के लिए कुछ कोयले दिए, लेकिन जब बूटा मलिक उन कोयलों को साथ लेकर अपने घर पहुंचे, तब वे सोने में तब्दील हो गए। इसके बाद यह जानकारी उनके गांव को लगी और धीरे-धीरे कश्मीर के राजा गुलाब सिंह और महाराजा हरि सिंह को भी इसके बारे में जानकारी प्राप्त हुई।

बूटा मलिक के परिवार के एक सदस्य ने समाचार चैनल आजतक से बात करते हुए कहा कि 2002 से पहले जब श्राइन बोर्ड नहीं बना था, तब उसके पहले हमारा परिवार ही वहां की सारी व्यवस्था देखता था और हमें चढ़ावे का एक तिहाई हिस्सा मिलता था। परिवार के सदस्य ने आरोप लगाया कि 2002 के बाद श्राइन बोर्ड बनने के बाद कुछ लोगों की मिलीभगत की वजह से हमें कुछ भी नहीं मिला, जबकि कई लोगों को नौकरी भी मिल गई।

मलिक परिवार के सदस्य ने बताया कि उसी के खर्चे पर हमारा दानापानी चलता था, लेकिन अब सब बंद हो गया। उन्होंने कहा कि हमने सोनिया जी को भी इसके संबंध में पत्र लिखा था लेकिन कुछ नहीं हुआ। 2002 से पहले के भी डॉक्यूमेंट हमने रखे हैं और 2002 के बाद के भी डॉक्यूमेंट हमने रखे हैं। हमारे साथ क्या होता है हमको खुद नहीं पता चल रहा है। श्राइन बोर्ड बनने के बाद से ही ऐसा हो रहा है। हमें एक तिहाई हिस्सा मिलता था, तब उसके साढ़े तीन, चार हजार हिस्से होते थे।

आने वाले गुरुवार से अमरनाथ यात्रा की शुरुआत हो रही है और 29 जून यानी बुधवार को जम्मू से तीर्थ यात्रियों का पहला जत्था रवाना होगा। प्रशासन ने सुरक्षा की तैयारियां पूरी कर ली है और 5000 अतिरिक्त जवानों को लगाया गया है।