जम्मू-कश्मीर के पुलवामा स्थित सीआरपीएफ ट्रेनिंग सेंटर पर हुए आतंकी हमले में अब तक पांच सैनिकों के शहीद होने की खबर है। समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, हमले में चार भारतीय जवान शहीद हुए थे। बाद में एक घायल जवान ने भी दम तोड़ दिया। सेना की जवाबी कार्रवाई में 2 आतंकवादियों को भी ढेर किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार रविवार सुबह तड़के आतंकियों ने सेंटर पर ग्रेनेड से हमला कर दिया। आतंकी धमाके और फायरिंग करते हुए सेंटर के अंदर घुसने का प्रयास कर रहे थे। मिली जानकारी के अनुसार, आतंकवादियों ने तड़के करीब दो बजे अवंतीपुरा में स्थित केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 185वीं बटालियन के शिविर पर हमला कर दिया।
सीआरपीएफ के अधिकारियों ने बताया, ‘‘रात करीब दो बजे सशस्त्र आतंकवादी शिविर में घुस आये। वे अंडर बैरल ग्रेनेड लांचर और स्वचालित हथियारों से लैस थे। उन्होंने शिविर में मौजूद संतरियों को चुनौती दी।’’ एक शहीद सीआरपीएफ जवान की पहचान श्रीनगर के रहने वाले सैफुद्दीन सोज के रूप में की गयी है।
#Pulwama attack #UPDATE: Four jawans have lost their lives in the attack, three injured while three terrorists have been killed so far #JammuAndKashmir pic.twitter.com/9hQAqGty0e
— ANI (@ANI) December 31, 2017
बल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘दोनों आतंकवादियों को शिविर के एक इमारत खंड में रोक लिया गया है और उन पर काबू पाने के लिए अभियान जारी है।’’ शिविर में कश्मीर घाटी में आतंकवाद विरोधी अभियानों के मुकाबले के लिए जवानों को शामिल करने के लिए प्रशिक्षण केन्द्र भी चलाया जा रहा है।’’ इस शिविर में जम्मू कश्मीर पुलिस की एक टीम भी स्थित है।
#CORRECTION Two terrorists have been killed so far in the ongoing #Pulwama encounter, not three as reported earlier
— ANI (@ANI) December 31, 2017
जम्मू एवं कश्मीर में सुरक्षा बलों ने 2017 में कुल 206 आतंकियों को मार गिराया, जबकि 75 अन्य को हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने के लिए राजी किया गया। राज्य पुलिस प्रमुख एस.पी. वैद ने रविवार को इस बात की जानकारी दी। एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पुलिस महानिदेशक वैद ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर में 2017 के दौरान सुरक्षा बलों द्वारा शुरू किए गए ‘ऑपरेशन ऑल आउट’ को लेकर कई गलतफहमियां थीं। वैद ने कहा, “इस साल, हमने 206 आतंकियों को मार गिराया और साथ ही हम 75 युवाओं को मुख्यधारा में वापस लाने में कामयाब रहे, जो या तो आतंक के साथ जुड़ चुके थे या फिर जुड़ने वाले थे। इन्हें छोड़कर, सात युवा ऐसे थे जो अपने परिवारों द्वारा हमारे प्रति समर्थन को देखकर हथियार त्यागकर वापस आ गए।”