वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा विकास के नेहरूवादी मॉडल की आलोचना करने के एक दिन बाद केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने रविवार (21 अगस्त) को जम्मू कश्मीर को नेहरू के ‘असफल’ राजनीतिक मॉडल का एक स्पष्ट उदाहरण बताया। सिंह ने रविवार को जम्मू के बाहरी क्षेत्र में आयोजित ‘याद करो कुर्बानी’ रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘कल (शनिवार, 20 अगस्त) केंद्रीय वित्त मंत्री ने नेहरू के असफल आर्थिक मॉडल की बात की थी और आज मैं कहता हूं कि यदि आपको नेहरू का असफल राजनीतिक मॉडल देखना है तो जम्मू कश्मीर उसका एक सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है।’ जेटली ने मुम्बई में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था, ‘जब वह (नरसिंह राव) प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने पाया कि खजाने में विदेशी मुद्रा भंडार नहीं बचा है और देश दिवालियेपन की ओर बढ़ रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘इसलिए उस मजबूरी यानि उस व्यवस्था की विफलता के कारण सुधार लाये गए।’

सिंह ने कहा कि जम्मू कश्मीर प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की ‘असफल’ राजनीति का स्पष्ट उदाहरण है। उन्होंने कहा कि महाराजा हरि सिंह के नियंत्रण में जम्मू कश्मीर का क्षेत्र 2.25 लाख वर्ग किलोमीटर का था लेकिन प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के ‘असफल’ राजनीतिक रुख के चलते भारत को उस क्षेत्र का मात्र एक लाख वर्ग किलोमीटर ही मिला, बाकी पाकिस्तान द्वारा कब्जा कर लिया गया जैसे गिलगित और बाल्टिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर।’

सिंह ने कहा, ‘महाराजा नेहरू से इतने नाराज हुए कि उन्होंने कभी भी जम्मू कश्मीर नहीं लौटने का फैसला किया और उन्होंने अपनी आखिरी सांस मुम्बई में ली।’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से शुरू की गई ‘तिरंगा यात्रा’ तभी पूरी होगी जब भारतीय ध्वज गिलगित-बाल्टिस्तान और कोटली में फहराया जाएगा। उन्होंने कहा कि बलूचिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघन का मुद्दा उठाना देश के ‘आत्मरक्षा’ के लिए जरूरी है क्योंकि पड़ोस की स्थिति सीधे तौर पर हमें प्रभावित करती है।