जम्मू कश्मीर में सेना के ऑपरेशन के दौरान पत्थर मारने वाले स्थानीय लोगों को सुरक्षा बल अब और सहन करने के मूड़ में नहीं दिख रहा है। सेना के कई बड़े अधिकारी और राज्य की मुख्यमंत्री पहले भी कई बार सेना के ऑपरेशन के दौरान स्थानीय लोगों से दूर रहने की अपील कर चुके हैं। सुरक्षा बलों का कहना है कि आतंकियों से मठभेड़ के दौरान कई बार स्थानीय लोग आकर सेना पर पत्थर फेंकते हैं जिसके चलते कई बार आतंकी बचने में कामयाब हो जाते हैं और सेना के जवानों तक की जान इस पत्थरबाजी में जोखिम में पड़ जाती है। इसी विवाद पर  अब जम्मू कश्मीर पुलिस के डीजीपी एस पी वेद ने कहा है कि एनकाउंटर की जगह पर आकर जो युवा सुरक्षा बलों के काम में दखल दे रहे हैं असल में वो खुद ही आत्महत्या कर रहे हैं। एस पी वेद ने कहा कि दूसरी तरफ से जवान लड़कों को उकसाया जा रहा है। युवाओं को भड़काया जा रहा है। उन्हें एनकाउंटर की जगह पहुंचकर सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंकने के लिए गुमराह किया जाता है। लेकिन इस सबके बावजूद हम उकसावे की कार्रवाई नहीं करते। हमारी कोशिश कम से कम नुकसान की होती है। गोली ये नहीं देखती है कि सामने कौन आ रहा है। युवाओं को चाहिए वो घर पर रहें और एनकाउंटर वाली जगह पर आने से बचें।

पिछले दिनों बडगाम जिले में आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान स्थानीय लोगों की पत्थरबाजी से सुरक्षा बलों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। एनकाउंटर साइट पर मुठभेड़ के दौरान क्षेत्रियों लोगों की सुरक्षा बलों के साथ झड़प शुरु हो गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पत्थबाजी के दौरान दो स्थानीय लोगों की मौत हो गई है और 17 लोग घायल हो गए हैं। एनकाउंटर के दौरान पत्थरबाजी रोकने के लिए सुरक्षा बलों को पत्थरबाजी कर रहे लोगों पर फायरिंग करनी पड़ी। पत्थरबाजी में सेना के भी कई जवान घायल हुए थे।

इससे पहले सेना प्रमुख जनरल रावत भी आतंकियों के साथ मुठभेड़ के दौरान सुरक्षा बलों पर पथराव करने वालों को कड़ी चेतावनी दे चुके हैं। उन्होंने कहा था कि ऐसे लोग आतंकियों के जमीनी कार्यकर्ता माने जाएंगे। सेना और जम्मू कश्मीर पुलिस के इस बयान के बाद आने वाले दिनों में हो सकता है सुरक्षा बल के जवान पत्थर फेंकने वालों से और सख्ती से निपटे।