जम्मू-कश्मीर में भाजपा के समर्थन से सरकार चला रहीं महबूबा मुफ्ती की सरकार की गिर गई है। भाजपा ने बीते मंगलवार (19 जून, 2018) को समर्थन वापस ले लिया और करीब दो साल लंबे गठबंधन का अंत हो गया। जिस समय भाजपा आलाकमान ने यह फैसला लिया उस वक्त महबूबा सिविल सचिवालय स्थित अपने दफ्तर में थीं। उन्हें समर्थन वापसी की खबर भी राजभवन मिली। करीब इसी समय में जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव भरत भूषण व्यास ने भी उन्हें यह खबर दी। पीडीपी के सीनियर नेता और पूर्व मंत्री ने बताया, ‘वह अपने ऑफिस में ढेर सारी फाइलें देख रहीं थी। हालांकि पार्टी को इसकी जानकारी थी कि दिल्ली में भाजपा के मंत्रियों की मीटिंग चल रही है। इसका बिल्कुल भी डर नहीं की पार्टी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लेगी। उन्होंने इस बारे में कोई संकेत भी नहीं दिया। जिस वक्त समर्थन वापसी का ऐलान किया गया उस वक्त महबूबा के अलावा पीडीपी के कुछ और मंत्री भी सिविल सचिवालय में मौजूद थे। दूसरे मंत्री मीटिंग में व्यस्त थे।’
पीडीपी के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने बताया, ‘समर्थन वापसी की जानकारी के बाद महबूबा ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को अपने ऑफिस बुलाया। इस दौरान संक्षिप्त में बातचीत हुई और इसके बाद तब मुख्यमंत्री रहीं महबूबा ने अपना निवास छोड़ दिया। महबूबा ने अपने आवास पर वरिष्ठ पार्टी नेताओं के अलावा मंत्रियों संग भी बैठक की। इसके बाद उन्होंने अपना इस्तीफा राज्यपाल एनएन वोहरा को फैक्स के जरिए भेज दिया।’ इसी समय दिल्ली में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं और 24 घंटे पहले तक जम्मू-कश्मीर के उप मुख्यमंत्री रहे कविंदर गुप्ता ने महबूबा मुफ्ती को अपना इस्तीफा भेज दिया। हालांकि पीडीपी सूत्रों के कहना है कि उन्हें इस तरह की कोई जानकारी नहीं मिली।
पार्टी के कुछ नेताओं को इसकी जानकारी टीवी चैनलों के जरिए मिली। मगर पीडीपी के ही एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि उन्हें पहले ही जानकारी मिल चुकी थी कि भाजपा सरकार से समर्थन वापस ले लेगी। इसकी जानकारी कुछ लोगों को पहले ही दी जा चुकी थी। वह इसके लिए पहले से ही पूरी तरह तैयार थे। वरिष्ठ नेता ने आगे कहा, ‘हम भी समर्थन वापस ले सकते थे। मगर हम यह संदेश नहीं देना चाहते थे कि कश्मीरी सिर्फ अच्छे समय के दोस्त होते हैं।’ बता दें कि राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने तत्काल प्रभाव से जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन को लागू करने की मंजूरी दे दी है।