कश्मीर घाटी में गत एक महीने से हिंसा जारी रहने के बीच सेना को राष्ट्रीय राजमार्ग एक को नियंत्रण में लेने और प्रदर्शनों में शामिल होने के वास्ते ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों में जाने वाले लोगों का आवागमन रोकने का निर्देश दिया गया है। इस कदम पर जहां कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है लेकिन मामले के बारे में जानकारी रखने वाले सूत्रों ने सोमवार (8 अगस्त) को कहा कि कानून एवं व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने और आतंकवाद निरोध में स्थानीय पुलिस की सहायता करने वाली सीआरपीएफ को सड़क खोलने के कार्य से हटा लिया गया है।
इसके साथ ही सेना से कहा गया है कि वह राजमार्ग नियंत्रण एवं कोरिडोर संरक्षण (एचआईडीसीओपी) का काम करे जो अर्द्धसैनिक बल द्वारा किया जाता था। सूत्रों ने कहा कि सेना के पास आतंकवाद निरोधक अभियान के लिए दक्षिण कश्मीर में ‘विक्टर’ बल और उत्तर कश्मीर में ‘कीलो’ बल है। सेना से कहा गया है कि वह यह भी सुनिश्चित करे कि ग्रामीण क्षेत्रों से लोग प्रदर्शनों में शामिल होने के लिए शहरी क्षेत्रों में नहीं बढ़ें।
जानकारी के अनुसार वर्तमान अशांति के दौरान राजमार्ग से लगे क्षेत्रों में रहने वाले लोग घाटी को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर एकत्रित हो जाया करते थे और वाहनों के आवागमन को बाधित करते थे। सूत्रों के अनुसार सेना से कहा गया है कि वह लोगों के सड़क की ओर आवागमन को रोके। कानून एवं व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए बड़ी संख्या में तैनात सीआरपीएफ ने राज्य प्रशासन को सूचित किया था कि उसे राजमार्ग से सड़क खोलना सुनिश्चित करने में मुश्किल होती है।
सूत्रों ने बताया कि अर्द्धसैनिक बल ने यह भी शिकायत की थी कि आदेश जारी करने के लिए ड्यूटी मजिस्ट्रेट के तौर पर काम करने वाले तहसीलदार और नायब तहसीलदार आमतौर पर मुहैया नहीं रहते। इसके कारण उसके कर्मियों को नहीं पता होता कि प्रदर्शन की स्थिति में क्या कार्रवाई करनी है। सूत्रों ने कहा कि सेना से उत्तर कश्मीर में श्रीनगर-कुपवाड़ा-उरी राजमार्ग से वाहनों का आवागमन सुनिश्चित करने और प्रदर्शन की स्थिति में अपने जवानों को तैनात करने के लिए कहा गया है।