जम्मू कश्मीर बीजेपी अध्यक्ष रविंदर रैना ने नेशनल कॉन्फ्रेंस वाइस प्रेसिडेंट उमर अब्दुल्ला को लेकर एक बयान दिया, जिसके बाद सोशल मीडिया पर लोग जम्मू कश्मीर की राजनीति को लेकर नए कयास लगा रहे हैं। वहीं रविंदर रैना के बयान पर उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा कि वो सिर्फ राजनीतिक तौर पर एक दूसरे के खिलाफ हैं, लेकिन नफरत नहीं करते हैं।

दरअसल रविंदर रैना ने एक इंटरव्यू दिया जिसमें उन्होंने कहा, “मैं तब विधायक बना था जब उमर अब्दुल्ला भी वहां (विधानसभा) थे। मैंने देखा कि एक व्यक्ति के रूप में उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के शीर्ष राजनीतिक नेताओं में एक रत्न हैं। जब मुझे कोरोना हुआ था तब जम्मू कश्मीर के नेताओं में उमर अब्दुल्ला पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने मुझे फोन किया था।”

वहीं रविंदर रैना के बयान पर उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा कि हम एक दूसरे का विरोध करते रहेंगे। उन्होंने कहा, “राजनीति विभाजन और नफरत के बारे में क्यों है? राजनीति कहाँ कहती है कि राजनीतिक रूप से असहमत होने के लिए हमें व्यक्तिगत रूप से एक दूसरे से घृणा भी करनी होगी? जो मेरे राजनीतिक विरोधी हैं, वे मेरे दुश्मन नहीं हैं। मैं रविंदर के दयालु शब्दों के लिए आभारी हूं और मुझे खुशी है कि वे हमें एक-दूसरे का विरोध करने से नहीं रोकेंगे।”

वहीं जम्मू कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक ने बड़ा दावा किया है। मलिक ने कहा है कि सज्जाद लोन विधानसभा भंग होने से पहले जम्मू कश्मीर के सीएम बनना चाहते थे लेकिन उनके पास केवल छह विधायक थे। मलिक ने कहा कि सज्जाद लोन ने उनसे कहा था कि उनके पास छह विधायक हैं, लेकिन अगर आप मुझे शपथ दिलाएंगे तो मैं एक हफ्ते में अपना बहुमत साबित कर दूंगा।

सत्यपाल मलिक ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि उन्होंने उस समय केंद्रीय वित्त मंत्री रहे अरुण जेटली को स्थिति के बारे में अवगत करा दिया था और केंद्र से निर्देश मांगे थे। मलिक ने कहा कि उन्होंने जेटली से कहा था कि अगर उन्हें पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती से सरकार बनाने का दावा पेश करने वाला पत्र मिलता है, तो वह उन्हें शपथ के लिए बुलाने हेतु बाध्य होंगे।