अगले साल जम्मू कश्मीर में होने जा रहे जी-20 शिखर सम्मेलन के बाद लद्दाख में भी इसके आयोजन के लिए भारत ने प्रस्ताव दिया है। इस पर चीन ने विरोध जताया है। अपने करीबी सहयोगी पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाते हुए चीन ने कहा कि संबंधित पक्षों को मुद्दे को राजनीतिक रंग देने से बचना चाहिए। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि हमने प्रासंगिक सूचना का संज्ञान लिया है।
चीन ने जम्मू-कश्मीर में जी-20 बैठकें आयोजित करने के भारत के फैसले की आलोचना की है। उसके विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने समूह के प्रतिभागियों को प्रासंगिक मुद्दे का राजनीतिकरण करने के बजाय आर्थिक सुधार पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा था।
अगस्त, 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद यह पहला जी-20 शिखर सम्मेलन होगा जो केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में होने जा रहा है। जम्मू-कश्मीर 2023 में जी-20 बैठकों की मेजबानी करेगा। 23 जून को जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने इसके लिए समग्र समन्वय के लिए 5 सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति की स्थापना की घोषणा की थी।
चीन की तरफ से यह प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है जब दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध अपनी सबसे कमजोर स्थिति में हैं। लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच पिछले दो साल से गतिरोध चल रहा है।
जम्मू-कश्मीर में जी-20 मीटिंग को लेकर बौखलाया पाकिस्तान<br>जम्मू-कश्मीर में होने जा रही जी-20 मीटिंग को लेकर पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। भारत शिखर सम्मेलन में कश्मीर का मुद्दा उठाएगा और दुनिया को बताएगा कि कश्मीर और कश्मीर के लोग पूरी तरह भारत के लोकतंत्र और संविधान में आस्था रखते हैं, जिससे पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। पाकिस्तान बैठक का बहिष्कार करने के लिए सदस्य देशों तक पहुंच रहा है।
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, पाकिस्तान अपनी चिंताएं व्यक्त करने के लिए विशेष रूप से चीन,तुर्की और सऊदी अरब जैसे देशों से संपर्क करने की कोशिश करेगा। G-20 एक प्रभावशाली संगठन है जो दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाता है। संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, जर्मनी, फ्रांस, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया और तुर्की इसके सदस्य हैं।