जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने एक मामले में आदेश दिया है कि किसी अंडरट्रायल कैदी को एक से दूसरी जेल में शिफ्ट करने का अधिकार सिर्फ कोर्ट या मजिस्ट्रेट के पास है। कोर्ट ने कहा कि जेल अधिकारियों को इसका अधिकार नहीं है और सिर्फ वह कोर्ट या मजिस्ट्रेट ही कैदी को शिफ्ट करने का आदेश दे सकती है, जिसने उसे जेल में भेजा है।

जस्टिस एम ए चौधरी की पीठ ने जेल नियमावली, 2022 का उल्लेख करते हुए कहा, “न्यायालय द्वारा न्यायिक आदेश पारित करके एक विचाराधीन कैदी को रिमांड पर भेजना या एक से दूसरी जेल में स्थानांतरित किया जाना चाहिए।” कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है। याचिका में एक विधवा मां ने अपने अंडरट्रायल बेटे को पुंछ की डिस्ट्रिक्ट जेल से श्रीनगर की सेंट्रल जेल या उसके घर के करीब किसी और जेल में शिफ्ट करने की मांग की है।

नार्कोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस एक्ट (NDPS) के तहत विभिन्न धाराओं में याचिकाकर्ता के बेटे के खिलाफ उरी, बारामुला पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था। 2017 में न्यायिक हिरासत में लिए जाने के बाद उसके खिलाफ बरामुला की एक कोर्ट में ट्रायल चला। ट्रायल के दौरान पहले उसे बारामुला की सब जेल में रखा गया और बाद में याचिकाकर्ता को कोई सूचना दिए बगैर उसके बेटे को पुंछ की जिला जेल में शिफ्ट कर दिया। इसके बाद याचिकाकर्ता ने बेटे को श्रीनगर की सेंट्रल जेल में शिफ्ट करने के लिए कई अधिकारियों से संपर्क किया, लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं आया। इसके बाद, ट्रायल कोर्ट में अर्जी भी दी, लेकिन वह भी खारिज कर दी गई।

जस्टिस चौधरी ने कहा कि सीआरपीसी के सेक्शन 417 के तहत राज्य सरकार को ये हक दिया गया है कि वो कैदी को रखने की जगह को तय करे। लेकिन 2013 के महाराष्ट्र सरकार बनाम सईद सोहेल शेख मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि किसी भी विचाराधीन कैदी को दूसरी जेल में शिफ्ट करने का आदेश केवल मजिस्ट्रेट या वो कोर्ट दे सकती है जिसने उसके रिमांड को मंजूर किया हो। विधवा मां की याचिका पर गौर करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि उसके बेटे को बारामुला की सब जेल से पुंछ के कारावास में शिफ्ट किया गया है। ये दोनों सूबे के दूसरे छोर पर मौजूद हैं। महिला के लिए बेटे से मिलने जाना काफी दुश्वारी भरा होगा।

बताया गया कि याचिकाकर्ता के बेटे को जिस जेल में शिफ्ट किया गया है, वह पुंछ में जम्मू संभाग का सबसे दूर का स्थान है। कोर्ट ने सरकार की इस बात पर संज्ञान लिया कि विचाराधीन कैदी जेल में बेजा हरकतें कर रहा था। लिहाजा उसे दूसरी जेल में शिफ्ट किया गया, लेकिन रिकॉर्ड पर सरकार ने ऐसा कुछ नहीं दिखाया है जिससे लगे कि कैदी वाकई में जेल प्रशासन के लिए परेशानी पैदा कर रहा था। जस्टिस चौधरी ने आदेश दिया कि कैदी को पुंछ की जेल से किसी दूसरी ऐसी जेल में शिफ्ट किया जाए जो उसके घर के आसपास हो।