जामिया मिल्लिया इस्लामिया की एक छात्रा को हिजाब पहनने के चलते यूजीसी-नेट की परीक्षा देने से रोक दिया गया। जिससे नाराज होकर छात्रा ने इसकी शिकायत यूजीसी से की है। खबर के अनुसार, जामिया में एमबीए इन इंटरनेशनल बिजनेस की छात्रा उमाइया खान ने यूजीसी चेयरपर्सन को लिए एक पत्र में लिखा है कि “जब वह परीक्षा देने के लिए सेंटर पहुंची, तो एक पुरुष स्टाफ ने उससे सिर ढकने वाला स्कार्फ हटाने को कहा। उमाइया ने लिखा कि वह इस बात से बेहद चकित हुई क्योंकि एडमिट कार्ड में इस तरह की कोई गाइडलाइंस नहीं लिखी हुईँ थी। उमाइया ने लिखा कि उसने स्टाफ से कहा कि वह अपने धर्म को मानने के कारण स्कार्फ नहीं हटा सकती। जब मैंने एक महिला स्टाफ से इस बारे में बात की तो उन्होंने भी मुझे हिजाब हटाने की बात कही….”

द इंडियन एक्सप्रेस के साथ बाततचीत में उमाइया खान ने कहा कि ‘लोगों को अपनी ड्यूटी करनी चाहिए, ना कि दूसरों को अपने धार्मिक प्रतिकों को हटाने के लिए कहना चाहिए, फिर चाहे वो मुस्लिम हो, सिख या हिंदू।’ उमाइया ने यूजीसी को लिखे अपने पत्र में मांग की है कि उसे NET-JRF पास उम्मीदवार माना जाए। खान ने आगे कहा कि ‘भविष्य के लिए मैं विनती करती हूं कि यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी के धर्म, लिंग या पहचान के आधार पर किसी के साथ भी ऐसा ना हो।’

वहीं इस मामले पर जब मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि “सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए नियम बनाए हैं कि आप परीक्षा में क्या ले जा सकते हो और क्या नहीं। हम सिर्फ सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का पालन कर रहे हैं।” बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने परीक्षा के दौरान सिर ढकने वाले स्कार्फ और लंबी बाजुओं वाले कपड़ों पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। उल्लेखनीय है कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ कि जब हिजाब या अन्य धार्मिक प्रतीकों के चलते किसी छात्र या छात्रा को परीक्षा देने से रोका गया हो। साल 2015 में भी लखनऊ की एक छात्रा को ‘अबाया’ (कपड़ों के ऊपर पहने जाने वाला ढीला कपड़ा) पहनने के चलते प्री मेडिकल की परीक्षा देने से रोक दिया गया था। दरअसल छात्रा ने अबाया पहने हुए ही परीक्षा देने की बात कही थी, जिसके चलते उसे परीक्षा देने की इजाजत नहीं मिल सकी।