Delhi water treatment: दिल्ली में भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद केंद्र सरकार की लंबित योजनाओं को लागू करने का सिलसिला तेज हो गया है। आयुष्मान भारत योजना को लागू करने के बाद अब दिल्ली सरकार ने अटल कायाकल्प और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत 2.0) योजना को लागू करने की तैयारी कर ली है।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग ने ‘अटल कायाकल्प एवं शहरी परिवर्तन मिशन 2.0’ (अमृत 2.0) के तहत ‘जल ही अमृत’ नामक नई योजना को लागू करने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। सक्षम प्राधिकारी के आदेश के बाद इस योजना को अमल में लाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

इस योजना का उद्देश्य शहरों में पानी की गुणवत्ता को सुधारना

इस योजना का उद्देश्य शहरों में पानी की गुणवत्ता को सुधारना, इस्तेमाल किए गए पानी को फिर से उपयोग के लायक बनाना और जल पुनर्चक्रण (रीसाइक्लिंग) को बढ़ावा देना है। इसके तहत शहरी निकायों (यूएलबी) और अन्य संबंधित संस्थाओं को प्रेरित किया जाएगा कि वे जल शुद्धिकरण संयंत्रों (यूडब्लूटीपी) को बेहतर तरीके से संचालित करें और उपचारित जल की गुणवत्ता को उच्च स्तर तक पहुंचाएं।

इसके अलावा, यह योजना पानी की बर्बादी रोकने और जल संसाधनों का सही तरीके से प्रबंधन करने पर भी जोर देगी, जिससे दिल्ली में स्वच्छ और पर्याप्त पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।

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इस पहल के एक हिस्से के रूप में, राज्य सरकारों को सलाह दी गई है कि वे उपयोग किए गए जल और जैव ठोसों के प्रबंधन को बढ़ावा देने और चक्रीय बनाने के लिए एक समर्पित जल संसाधन पुनर्प्राप्ति प्रकोष्ठ (डब्लूआरसीसी) की स्थापना करें। सूत्र बताते हैं कि इसको ध्यान में रखते हुए दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव/प्रधान सचिव की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय जल संसाधन पुनर्प्राप्ति प्रकोष्ठ का गठन किया गया है।

इसमें उद्योग विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव/प्रधान सचिव, सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव/प्रधान सचिव, ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के सदस्य सचिव, दिल्ली जल बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के अलावा तीनों निकायों नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) के सचिव, दिल्ली नगर निगम के आयुक्त और दिल्ली छावनी बोर्ड के सीईओ को बतौर सदस्य शामिल किया गया है।

शहरी विकास विभाग के उप सचिव संजय शर्मा की ओर से इस बाबत आदेश जारी किए गए हैं। आदेश के मुताबिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष की तरफ से शैक्षणिक संस्थानों, थिंक टैंक और निजी क्षेत्र या अन्य सदस्यों को विशेषज्ञ के तौर पर आमंत्रित किया जा सकता है।