Punjab Flood Update: पंजाब में लगातार बारिश और उफनती नदियों ने तबाही मचा दी है, जिससे कई गांव जलमग्न हो गए हैं और हजारों लोग जरूरी सामान के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इसी बीच, जगजीवन सिंह चहल का एक ड्रोन बाढ़ग्रस्त इलाकों के ऊपर मंडरा रहा था और प्रभावित परिवारों के लिए छतों पर सूखा राशन पहुंचा रहा था। इसका कंट्रोलर बटाला-डेरा बाबा नानक रोड पर खड़े चहल के हाथ में था। पंजाब में आई बाढ़ के दौरान चहल का एग्रीकल्चर ड्रोन इलाके के परिवारों के लिए लाइफ लाइन बन गया है।
गुरदासपुर के धारीवाल में मौजूद जफरवाल गांव के किसान चहल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्होंने गन्ना, सरसों और मक्का जैसी अपनी फसलों पर छिड़काव के लिए अपने मीडियम कैटेगरी के ड्रोन का इस्तेमाल किया। उन्होंने बताया कि यह एग्रीकल्चर ड्रोन ऊंची या घनी फसलों पर छिड़काव करने में माहिर है। बाढ़ के समय, ड्रोन से राहत सामग्री बहुत सटीक तरीके से उन घरों तक पहुंचाई गई जो पानी में फंसे हुए थे। ऊपर से देखने पर यह साफ दिखता था कि किसे मदद की जरूरत है और ड्रोन ने ठीक उसी जगह पर राशन गिराया। इससे न तो राशन बर्बाद हुआ और न ही कोई नुकसान हुआ, जो कि पहले के हवाई-ड्रॉप से अक्सर होता था।
चहल ने ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग ली
उन्होंने बताया कि पीड़ित मुख्य गांव से दूर रहते हैं और वहां तक सड़क या नाव से पहुंचना मुश्किल होता है। ऐसे में ड्रोन ही एकमात्र तरीका था जिससे मदद जल्दी और सीधे पहुंचाई जा सकी। दिल्ली में डीजीसीए द्वारा मान्यता प्राप्त एक सेंटर से चहल ने ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग ली है। चहल के पास ड्रोन पायलट सर्टिफिकेट है, जिसकी लागत करीब 75,000 रुपये थी। यह सर्टिफिकेट लगभग सभी तरह के ड्रोन उड़ाने के लिए जरूरी होता है। चहल के पास 21 एकड़ जमीन भी है।
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कितनी है एग्रीकल्चर ड्रोन की कीमत?
हालांकि, चहल ने बताया कि उनके एग्रीकल्चर ड्रोन को मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी की जरूरत होती है। उन्होंने बताया कि यह कंट्रोलर से लगभग 1.5 किलोमीटर की दूरी पर ही काम कर सकता है। नतीजतन कम कवरेज वाले कई गांवों में सिग्नल और कंट्रोल संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं। उन्होंने बताया कि इसके बिल्कुल उलट प्रोफेशनल रेस्क्यू ग्रेड ड्रोन बिना मोबाइल नेटवर्क, कैरी हुक या खास पेलोड मैकेनिज्म के काम कर सकते हैं और लंबी दूरी तक जा सकते हैं। उनके एग्रीकल्चर मॉडल की लागत लगभग ₹8-10 लाख है, जबकि उनका अनुमान है कि प्रोफेशनल ड्रोन की लागत लगभग 15 लाख होगी।
अधिकारियों ने चहल से संपर्क किया
जब बाढ़ के पानी ने फार्महाउसों और डेरा बस्तियों को काट दिया, तो स्थानीय अधिकारियों ने उनसे संपर्क किया और उन्होंने राशन गिराने के लिए उसी ड्रोन की सेवा स्वेच्छा से दे दी। उन्होंने बताया कि डीसी कार्यालय और एसडीएम सहित जिला अधिकारियों ने भी कोऑर्डिनेट किया।