दिल्ली में चल रहे विश्व पुस्तक मेले के चीन मंडप में आगुंतकों का तांता साफ नजर आ रहा है लेकिन अन्य देशों के मंडप अपेक्षाकृत सूने हैं। प्रगति मैदान में सात नंबर हॉल में करीब 30 देशों के मंडप लगे हैं। इस हॉल में एक पूरा मंडप ‘गेस्ट आॅफ आॅनर’ चीन के नाम है। दूसरे मंडप ‘कल्चरल हैरिटेज आॅफ इंडिया’ में ‘विविध भारती’ (जो इस बार पुस्तक मेले की थीम है) के तहत विभिन्न कलाकारों द्वारा प्रस्तुति दी जाती है। कुछ लोगों ने जहां चीन को मिल रही प्रमुखता को इसका कारण बताया तो कुछ ने अपनी उपेक्षा के लिए अन्य कारण गिनवाए।
पाकिस्तान के प्रकाशक अल हसनत के प्रतिनिधि ने कहा, ‘लोग सीधे चीन के मंडप में चले जाते हैं। इसलिए हमारे मंडप खाली हैं।’ श्रीलंका बुक पब्लिशर्स एसोसिएशन जो 15 साल से पुस्तक मेले में मंडप लगाते आ रहे हैं, उन्होंने भी चीन को इस उपेक्षा का जिम्मेदार बताया। उनके प्रतिनिधि ने कहा, ‘निश्चित रूप से लोगों की आवाजाही यहां कम है। पर हम देखते हैं कि बहुत सारे लोग चीन के मंडप की ओर जाते हैं। तो इसका कारण चीन हो भी सकता है और नहीं भी हो सकता।’
मॉरिशस स्थित प्रकाशन कंपनी के धर्मेंद्र सुजीबुने ने कहा ‘मुझे लगता है कि आजकल युवक कम पुस्तकें पढ़ते हैं। अब वह सब आॅनलाइन ही करते हैं। यह काफी निराशाजनक है।’ फ्रांसीसी प्रकाशन के अंतरराष्ट्रीय ब्यूरो ने यहां अपनी पुस्तकों को प्रस्तुत करने के लिए आॅक्सफोर्ड स्टोर के साथ करार किया है। उसके प्रतिनिधि ने चीन को मिल रही प्रमुखता पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया लेकिन आगुंतकों की संख्या में कमी की बात स्वीकार की।
चीन के स्टॉल पर 60 से ज्यादा किस्मों की चाय उपलब्ध है।
चीन में सदियों से चाय का इस्तेमाल औषधि के रूप में हो रहा है।