जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित राज्य बनाने से बौखलाए पाकिस्तानी आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) सर्दियों में भारत के खिलाफ बड़े पैमाने पर आतंकी हमले कर सकते हैं। ताजी खुफिया रिपोर्टों में इस ओर इशारा किया गया है। खुफिया एजेंसियों ने सरकार को भेजे इनपुट में बताया है कि भारत में संभावित फिदायीन हमलों के लिए जैश के मुखिया ने अपने प्रशिक्षित आतंकवादियों को बहावलपुर मुख्यालय में रिपोर्ट करने को कहा है। सूत्रों के मुताबिक जैश प्रमुख मसूद अजहर और उसका छोटा भाई मुफ्ती अब्दुल रऊफ असगर दोनों बहावलपुर में हैं।
सुरक्षा एजेसियां नजर बनाए हुई हैं : इनपुट के मुताबिक पाकिस्तान प्रायोजित ग्रुप नियंत्रण रेखा के पार अपने प्रशिक्षित आतंकियों को भेजने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। जबकि गृहमंत्रालय और सुरक्षा एजेंसियां इसके प्रति पहले से ही चौकसी बरत रही हैं। रक्षा सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान की हरकतों के प्रति सुरक्षा एजेंसियां कड़ी नजर रखे हुई हैं। हालांकि सुरक्षा एजेंसियां इन इनपुट के बाद सीमा पर चौकसी बढ़ा दी हैं।
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जैश ने चुनिंदा घुसपैठियों को दी हरी झंडी : रावलपिंडी स्थित पाकिस्तान सशस्त्र बल के मुख्यालय ने जैश के चुनिंदा घुसपैठियों को भारत में घुसने की हरी झंडी दे दी है। हालांकि, गृह मंत्रालय और सुरक्षा एजेंसियों ने पूरे क्षेत्र को खतरे से बाहर रखने में कामयाबी हासिल की है। राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकारों का मानना है कि पाकिस्तान स्थित समूह इस सर्दी में अपनी नापाक हरकतें करने की कोशिश करेंगे। खुफिया रिपोर्टों ने घाटी में संभावित घुसपैठ के लिए पाकिस्तान में एलओसी के पार पैड लॉन्च करने में सात अफगान कमांडरों के नेतृत्व में 20 जैश कैडरों के सदस्यों के बारे में विशेष रूप से सतर्क किया है। संयोग से उन्हीं कैडरों को अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में पाकिस्तान की सेना ने हिरासत में लिया और मनेशरा, खैबर पख्तूनख्वा में अपने शिविर में वापस भेज दिया।
लश्कर का नेतृत्व फिर सक्रिय : फिलहाल, जैश के नेतृत्व वाले कैडर सहित घाटी में सक्रिय आतंकवादी बाहरी लोगों को निशाना बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इस बीच, लश्कर का नेतृत्व फिर से सक्रिय हो गया है। हाफिज सईद के नंबर दो अब्दुल रहमान मक्की ने 18 अक्टूबर को लाहौर के जमात-उद-दावा मरकज अल कादिया से अपना संदेश दिया। उसके सिर पर 2 मिलियन डॉलर का इनाम है। 15 मई, 2019 को उसकी गिरफ्तारी के बाद यह उसका पहला सार्वजनिक भाषण था।