सब्जियों को लेकर कई तरह के भ्रम होते हैं। कुछ चीजों को हम सब्जी मानते हैं तो कुछ चीजों को हम मसाला मानते हैं। ऐसा ही एक रोचक मामला मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के इंदौर बेंच के सामने आया। हाईकोर्ट ने लोगों के भ्रम को दूर कर दिया। मुद्दा यह था कि लहसुन सब्जी है या मसाला। यह विवाद इसलिए खड़ा हुआ था क्योंकि 2015 में कुछ किसान संगठनों के अनुरोध पर मध्य प्रदेश बोर्ड ने लहसुन को सब्जी की कैटेगरी में डाल दिया था। इसके बाद विवाद खड़ा हो गया। कृषि विभाग ने इस आदेश को कैंसिल कर दिया और कृषि उपज मंडी समिति अधिनियम 1972 का हवाला देते हुए इसे मसाले की कैटेगरी में डाल दिया।

हाईकोर्ट की डबल बेंच ने इसे जल्दी खराब होने वाला आयटम बताया

मामला जब हाईकोर्ट के सामने आया तो कोर्ट ने इसे सब्जी की कैटेगरी में डालने का आदेश दिया। जस्टिस एसए धर्माधिकारी और डी वेंकटरमन की बेंच ने कहा कि लहसुन जल्दी खराब होने वाला पदार्थ है, लिहाजा यह एक सब्जी है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इसे सब्जी और मसाला दोनों बजारों में बेचा जा सकता है। इससे व्यापार पर लगे प्रतिबंध खत्म हो जाएंगे।

2016 में यह मामला हाईकोर्ट पहुंचा था। आलू-प्याज-लहसुन कमीशन एजेंट एसोसिएशन ने इस मामले में प्रमुख सचिव के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट की इंदौर बेंच के सामने केस दायर किया था। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने प्रमुख सचिव के पक्ष में फैसला सुनाया था, लेकिन याचिकाकर्ता एसोसिएशन इससे संतुष्ट नहीं हुआ।

एसोसिएशन ने रीविजन पेटीशन दाखिल कर इस पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया। कोर्ट ने जनवरी 2024 में इस पर अपनी राय देते हुए फैसला पलट दिया और लहसुन को मसाला माना। कोर्ट ने कहा कि लहसुन को सब्जी मानने से केवल व्यापारियों को फायदा होगा, किसानों को नहीं। यह मुद्दा यहीं नहीं खत्म हुआ।

इस साल मार्च में लहसुन व्यापारियों और कमीशन एजेंटों ने फिर से रीविजन पेटीशन दाखिल कर इस पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया। 23 जुलाई को इस पर फैसला सुनाते हुए इंदौर हाईकोर्ट के जस्टिस एसए धर्माधिकारी और डी वेंकटरमन की डबल बेंच ने 2017 के सिंगल बेंच के फैसले को कायम रखा। कोर्ट ने मंडी बोर्ड के एमडी को नियमों में बदलाव करने की अनुमति दी है। हाईकोर्ट ने साफ कहा कि जो भी आदेश हैं वह किसानों और व्यापारियों दोनों के हित में हैं।