देश में गिरती अर्थव्यवस्था पर आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने चिंता जाहिर की है और सरकार को चेताया है कि अभी हालात और बिगड़ सकते हैं। सोशल मीडिया पर लिखे अपने एक पोस्ट में उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2020-21 की हालिया तिमाही में जीडीपी के आंकड़ों से चौकन्ना होने की जरुरत है। पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में जीडीपी में 23.9 फीसदी की गिरावट आई है, जो कि हमारे अनुमान से भी ज्यादा है।
कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित रहे देशों इटली और अमेरिका की जीडीपी में क्रमशः 12.4 और 9.5 फीसदी की ही गिरावट आई है। वहीं भारत में माहमारी अभी भी चरम पर है, जिसके चलते यहां रेस्तरां, होटल इंडस्ट्री और इससे जुड़े रोजगार अभी भी बुरी तरह प्रभावित रहेंगे। उन्होंने कहा कि जब तक संक्रमण पर काबू नहीं पा लिया जाता तब तक विवेकाधीन खर्च की स्थिति कमजोर बनी रहेगी।
पूर्व गवर्नर ने कहा कि अब तक सरकार ने जो राहत पैकेज दिया है, नाकाफी है, इसे बढ़ाने की जरुरत है। सरकार भविष्य में प्रोत्साहन पैकेज देने के लिए आज संसाधनों को बचाने की रणनीति पर चल रही है जो आत्मघाती है। बकौल राजन अधिकारी सोच रहे हैं कि कोविड-19 पर काबू पाने के बाद राहत पैकेज देंगे। वो हालात की गंभीरता को कम आंक रहे हैं। तब तक तो अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान हो जाएगा।
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उन्होंने कहा कि अगर आप अर्थव्यवस्था को एक मरीज की तरह देखें तो उसे बीमारी से लड़ने के लिए लगातार इलाज की जरुरत होती है। राहत के बिना लोग भोजन छोड़ देंगे, अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे। इसके उलट उन्हें काम करने या भीख मांगने के लिए भेज देंगे। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर ने कहा कि अब आर्थिक प्रोत्साहन को ‘टॉनिक’ के रूप में देखें। जब बीमारी समाप्त हो जाएगी, तो मरीज तेजी से अपने बिस्तर से निकल सकेगा। लेकिन यदि मरीज की हालत बहुत ज्यादा खराब हो जाएगी, तो प्रोत्साहन से उसे कोई लाभ नहीं होगा।
इसी तरह राहत के बिना छोटे उद्योग अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पाएंगे और आखिर में ये बंद हो जाएंगे। इसी तरह जब तक आप कोविड-19 पर काबू पाएंगे, तब तक अर्थव्यवस्था बर्बाद हो जाएगी। राजन ने कहा कि वाहन जैसे क्षेत्रों में हालिया सुधार वी-आकार के सुधार (जितनी तेजी से गिरावट आई, उतनी ही तेजी से उबरना) का प्रमाण नहीं है।