भारतीय रेलवे के टीसी (टिकट जांचकर्ताओं) को उनका ‘रनिंग स्टाफ’ का दर्जा दोबारा मिल सकता है। रेल मंत्रालय द्वारा गठित कमेटी जल्द ही इस मामले में फैसला ले सकती है। रनिंग स्टाफ को टीसी से 30% ज्यादा वेतन मिलता है साथ ही दैनिक भत्ता और सुविधाएं भी ज्यादा मिलती है। 87 साल पहले स्वतंत्रता सेनानियों की मदद करने की वजह से अंग्रेजों ने भारतीय रेलवे के टिकट जांचकर्ताओं का यह अधिकार छीन लिया था।
दरअसल, इसी साल सितंबर महीने में परिवहन मंत्री नितिन गडकरी समेत करीब 100 संसद सदस्यों ने रेल मंत्री पीयूष गोयल को खत लिखकर टीसी को रनिंग स्टाफ का दर्जा वापस दिए जाने की बात कही थी। बता दें कि लोको ड्राइवर, असिस्टेंट लोको ड्राइवर, गार्ड, ब्रेक्समैन, “टीसी आदि को ‘रनिंग स्टाफ’ कहा जाता है। लेकिन, 1931 में अंग्रेजों ने यह कहकर दर्जा छीन लिया था कि टीसी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को ट्रेन में सीटें देते हैं। गौरतलब है कि रेल मंत्रालय ने इस संबंध में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है जो 3 महीनों के अंदर टीसी को ‘रनिंग स्टाफ’ का दर्जा देने पर निर्णय लेगी।
बता दें कि ‘रनिंग स्टाफ’ को टीसी स्टाफ से 30% ज्यादा वेतन मिलता है और ऐसे कर्मचारियों की काम करने की शिफ्ट 10 घंटे की होती है। टीसी स्टाफ को दैनिक भत्ते भी कम मिलते है और पेंशन भी कम मिलती है। बंटवारे के बाद पाकिस्तान में टीसी को रनिंग का स्टाफ का दर्जा 1962 में ही मिला वहीं बांग्लादेश में उन्हें यह दर्जा 2004 में मिला था। फिलहाल अब टीसी को ‘रनिंग स्टाफ’ का दर्जा देने की मांग उठी है। जिस पर सरकार ने कमेटी गठित की है।

