एक तरफ सरकार Indian Railway के आधुनिकीकरण और बदलाव का दावा कर रही है दूसरी इसके अंदर व्याप्त भ्रष्टाचार आए दिन नए नए रास्ते तलाश रहे हैं। बिहार के समस्तीपुर मंडल में अजीबो गरीब घोटाला सामने आया है, यहां के एक इंजीनियर ने पूर्णिया कोर्ट स्टेशन के पास कई सालों से खड़े स्टीम इंजन को ही बेच डाला, मामले का खुलासा ऑन ड्यूटी सिपाही की रिपोर्ट के बाद हुआ। स्थानीय मीडिया में छपी रिपोर्ट के अनुसार इंजीनियर ने DMI का फर्जी आदेश दिखाकर छोटी लाइन का पुराना स्टीम इंजन बेच दिया था। मामले की किसी को भनक न लगे इसलिए एक दरोगा के साथ मिलकर शेड के आवक रिजस्टर में एक पिकअप वैन की एंट्री भी करवा दी थी ।
ऐसे हुआ खुलासा: 14 दिसंबर 2021 को इंजीनियर राजीव रंजन झा, हेल्पर सुशील यादव के साथ मिलकर गैस कटर की मदद से पुराने इंजन को कटवा रहे थे, आउटपोस्ट के प्रभारी एमएम रहमान ने काम को रोका तो इंजीनियर ने फर्जी लेटर दिखाते हुए कहा कि इस इंजन का स्क्रैप वापस डीजल शेड तक पहुंचाना है, अगले दिन ड्यूटी सिपाही पर संगीता पहुंची तो रजिस्टर में पिकअप वैन की एंट्री देखी लेकिन शेड में जाकर देखा तो स्क्रैप था ही नहीं। जब संगीता ने इसकी जानकारी अधिकारियों को दी तो हड़कंप मच गया, क्योंकि तब पता चला कि DMI तो इंजन कटवाने का आदेश दिया ही नहीं था।
अब अधिकारी उस इंजीनियर की तलाश कर रहे हैं जो आदेश दिखाकर इंजन कटवा रहा था, साथ ही उस पिकअप वैन को भी तलाशा जा रहा है जिसकी एंट्री रजिस्टर में मिली है। उधर, DRM के आदेश पर इंजीनियर और हेल्पर के अलावा डीजल शेड पोस्ट पर तैनात दारोगा वीरेंद्र द्विवेदी को निलंबित कर दिया गया है।
समस्तीपुर मंडल के सिक्योरिटी कमिश्नर एके लाल ने बताया कि जब एमएम रहमान ने डीजल शेड से जारी लेटर के बारे में जांच शुरू की तो शेड के DMI ने इस तरह का कोई भी पत्र दफ्तर से जारी करने की बात से इनकार कर दिया, तब एहसास हुआ कि यह तो विभाग के भीतर ही खेल हो गया। दो दिनों तक खोज के बाद भी न ही स्क्रैप लोड वाहन की जानकारी मिल पाई और न ही इंजीनियर की।