आज कांग्रेस अपना 134वां स्थापना दिवस मना रही है। बता दें कि 28 दिसंबर 1885 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन हुआ था। वहीं कांग्रेस की स्थापना का श्रेय एओ ह्यूम, दादाभाई नौरोजी और दिनशॉ वाचा को जाता है। देश की सत्ता पर सबसे लंबे समय तक शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी का सफर आसान नहीं था। कई बार कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने उसका साथ छोड़ा और दूसरी पार्टी का गठन किया। हालांकि कुछ नेताओं ने पार्टी में वापसी भी की। ऐसे में एक नजर कांग्रेस के इतिहास पर।
दो वर्गों में विभाजित हुई कांग्रेस: 1907 में कांग्रेस दो दलों में विभाजित हो गई। एक था गरम दल और दूसरा था नरम दल। एक तरफ जहां गरम दल का नेतृत्व बाल गंगाधर तिलक, बिपिन चंद्र पाल और लाला लाजपत राय करते थे तो वहीं नरम दल का नेतृत्व गोपाल कृष्णा गोखले, फिरोजशाह मेहता और दादा भाई नौरोजी करते थे। दोनों ही दलों में एक जो सबसे बड़ा फर्क था वो ये था कि गरम दल पूर्ण स्वराज की मांग कर रहा था जबकि नरम दल चाहता था कि ब्रिटिश राज में ही स्वशासन आ जाए। हालांकि 1916 में लखनऊ में दोनों दल एक हो गए होम रूल आंदोलन शुरू हो गया। इस आंदोलन में डोमिनियन स्टेट्स की मांग की गई थी
कई दफा टूटी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस: 1885 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन होने के बाद पार्टी को कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा। जिसमें एक तरफ जहां पहले गरम- नरम दल बनें तो वहीं दूसरी और पार्टी कई बार टूटी। ऐसे में एक नजर डालते हैं कि कब कब कांग्रेस टूटी..
1923: चितरंजन दास और मोतीलाल नेहरू ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से अलग होकर स्वराज पार्टी नाम से नई पार्टी का गठन किया।
1939: सुभाष चंद्र बोस सहित दो और नेताओं ने मिलकर ऑल इंडिया फॉर्वर्ड ब्लॉक नामक पार्टी बनाई।
1951: जे. कृपलानी ने कांग्रेस पार्टी से अलग होकर किसान मजदूर प्रज्ञा पार्टी बनाए और एनजी रंगा ने हैदराबाद में स्टेट प्रजा पार्टी बनाई।
1956: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से अलग होकर सी राजगोपालचारी ने इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी बनाई।
1967: चरण सिंह ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का साथ छोड़ा और भारतीय क्रांति दल बनाया।
1969: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से किनारा कर बीजू पटनायक ने उत्कल- कांग्रेस और मीरा चेन्ना रेड्डी ने तेलंगाना प्रजा समीति नामक पार्टी बनाई। इसके साथ ही तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अनुशासन का उल्लंघन का दोषी मानते हुए पार्टी से निकाल दिया। जिसके बाद इंदिरा ने कांग्रेस (आर) नाम से पार्टी बनाई। वहीं के.कामराज और मोरारजी देसाई ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (ओ) के नाम से पार्टी बनाई।
1977: इमरजेंसी के बाद इंदिरा का पार्टी नेताओं ने जमकर विरोध किया और पार्टी फिर से टूट गई। जिसके बाद इंदिरा ने फिर से कांग्रेस (आई) नाम से नई पार्टी का गठन किया। इस बार पंजा पार्टी का चुनाव चिन्ह बना।
1981: इंदिरा गांधी के कहने पर पार्टी का नाम कांग्रेस (आई) से बदलकर इंडियन नेशनल कांग्रेस किया गया। एक तरह से कह सकते हैं कि ये कांग्रेस का दूसरा जन्म था। वहीं इस ही साल शरद पवार ने भी पार्टी का साथ छोड़ा और इंडियन नेशनल कांग्रेस सोशलिस्ट नाम से अपनी नई पार्टी बनाई। वहीं जगजीवन ने भी पार्टी से अगल होकर जगजीवन कांग्रेस पार्टी का गठन किया।
1986: प्रणब मुखर्जी ने कांग्रेस पार्टी का दामन छोड़ राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस पार्टी का गठन किया।
1994: नारायण दत्त तिवारी, अर्जुन सिंह, रंगराजन कुमारमंगलम और नटवर सिंह ने कांग्रेस से अलग होकर ऑल इंडिया इंदिरा कांग्रेस (तिवारी) नामक पार्टी का गठन किया।
1996: माधवराव सिंधिया ने भी कांग्रेस का साथ छोड़ मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस के नाम से पार्टी का गठन किया। हालांकि वो बाद में कांग्रेस से ही फिर मिल गए।
1997: ममता बनर्जी ने कांग्रेस से किनारा किया और ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस नाम से नई पार्टी बनाई। वहीं हिमाचल में भी सुखराम ने हिमाचल विकास कांग्रेस नाम से पार्टी बनाई।
1999: जगन्नाथ मिश्रा ने कांग्रेस छोड़ भारतीय जन कांग्रेस नामक पार्टी बनाई। इस ही साल पी. ए. संगमा और तारिक अनवर ने नैशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नामक नई पार्टी बनाई। वहीं जम्मू-कश्मीर के में मुफ्ती मोहम्मद सईद ने भी कांग्रेस का साथ छोड़ जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रैटिक पार्टी का गठन किया।
2001: कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कांग्रेस का साथ छोड़ कांग्रेस जननायका पेरानई नाम की नई पार्टी बनाई।
2007: कुलदीप बिश्नोई ने कांग्रेस छोड़ हरियाणा जनहित कांग्रेस (बीएल) नामक पार्टी का गठन किया।
2011: वाई एस जगमोहन रेड्डी ने वाईएसआर कांग्रेस का गठन किया।
2014: नल्लारी किरन कुमार रेड्डी ने कांग्रेस का साथ छोड़ा और जय समयकआंध्र पार्टी नामक नई पार्टी बनाई।
2016: अजीत जोगी ने कांग्रेस का साथ छोड़ छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस का गठन किया।