मुजफ्फरनगर दंगा मामले में बीजेपी को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने उत्‍तर प्रदेश में मंत्री सुरेश राणा, विधायक संगीत सोम और सांसद भारतेंदु सिंह के खिलाफ जारी गैरजमानती वारंट रद्द कर दी है। इन तीनों के खिलाफ निषेघाज्ञा का उल्‍लंघन करने और सरकारी अधिकारियों के काम में बाधा डालने का आरोप था। समाजवादी पार्टी के शासनकाल में पश्चिम उत्‍तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर और आसपास के इलाकों में सांप्रदियक हिंसा भड़क गई थी। इसमें लोगों की जान जाने के अलावा संपत्ति का भी नुकसान हुआ था।

मुजफ्फरनगर दंगों में भाजपा नेताओं की संलिप्‍तता के आरोपों को लेकर विपक्षी दल शुरुआत से ही हमलावर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, राज्‍य सरकार से इन तीनों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मिलने के बाद 15 नवंबर को गैरजमानती वारंट जारी किया गया था। अब अडिशनल चीफ ज्‍यूडीशियल मजिस्‍ट्रेट मधु गुप्‍ता की अदालत ने सुरेश राणा, संगीत सोम और भारतेंदु सिंह के खिलाफ जारी वारंट को रद्द कर दिया है। एक और व्‍यक्ति चंद्रपाल को भी कोर्ट से राहत मिल गई है। तीनों भाजपा नेताओं की ओर से पेश अधिवक्‍ता अनिल जिंदल ने कोर्ट को बताया कि इन्‍हें आईपीसी की धारा 153ए (विभिन्‍न गुटों के बीच शत्रुता भड़काना) के मामले में पहले ही जमानत मिल चुकी है। ऐसे में इनके खिलाफ जारी वारंट को रद्द कर दिया जाए।

आरोपियों पर आईपीसी की विभिन्‍न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं। इनपर अगस्‍त 2013 के अंतिम सप्‍ताह में एक महापंचायत में हिस्‍सा लेने और अपने भड़काऊ भाषणों से हिंसा भड़काने का आरोप है। मालूम हो सांप्रदायिक हिंसा के इस मामले ने राष्‍ट्रीय स्‍तर पर सुर्खियां बटोरी थीं। इसको लेकर उत्‍तर प्रदेश की तत्‍कालीन अखिलेश यादव की सरकार की काफी आलोचना हुई थी। सांप्रदायिक हिंसा में भाजपा नेताओं की संलिप्‍तता की बात भी कही जा रही थी। इस मामले की जांच के लिए आयोग का भी गठन किया गया था। हिंसा के कारण लोगों को विस्‍थापित होना पड़ा था।