Azam Khan On Mayawati: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात के तीसरे दिन पार्टी महासचिव आजम खान के सुर बदल गए हैं। आजम ने बसपा प्रमुख मायावती की न सिर्फ प्रशंसा की बल्कि जरूरत पड़ने पर कभी भी उनसे मिलने की बात भी कही। मायावती का इस बात को लेकर शुक्रिया भी अदा किया कि लखनऊ रैली के दौरान उन्होंने उनके लिए कुछ बुरा भला नहीं कहा।

23 सितंबर को जेल से जमानत पर छूटे आजम के बसपा में जाने के कयास भी लगाए गए हैं। हालांकि, मायावती ने नौ अक्टूबर को लखनऊ रैली में ऐसी किसी मुलाकात को खारिज करते हुए कहा था कि वह किसी से छिपकर नहीं मिलतीं। विरोधियों ने रैली से पहले यह अफवाह फैलाई। आजम के रुख बदलने से एक बार भी उनका बसपा प्रेम सुर्खियों में आ गया है।

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सीतापुर जेल में 23 महीने बिताकर और अखिलेश यादव के बीच आठ अक्टूबर को करीब दो घंटे तक बंद कमरे में गुफ्तगू हुई थी। इसके बाद अखिलेश यादव ने गिले-शिकवे दूर होने का दावा किया था। हालांकि, उनके सामने आजम चुप्पी साधे रहे। बाद में उन्होंने कहा था कि ‘गुफ्तगू के बारे में बताएंगे तो नुकसान होगा। गिला ही नहीं तो शिकवा कैसा। आजम की मंशा न होने पर रामपुर के सपा सांसद मोहिबुल्लाह नदवी को अखिलेश यादव ने लखनऊ से साथ लाकर बरेली ही रोक दिया था।

गुरुवार को सांसद ने कहा था कि ‘आजम की अब उम्र हो चुकी है, वह हमें क्या अपने शहर इमाम तक को नहीं पहचानते।’ शुक्रवार को आजम खां ने पत्रकारों से बात करते हुए बसपा प्रमुख मायावती प्रशंसा की। कहा कि मैं ही नहीं, उनका बड़े जनसमूह की नायक हैं। मीडिया के पूरा देश बहुत सम्मान करता है। वह एक माध्यम से उनके पास कोई ऐसी खबर पहुंची है, जिससे उन्हें दुख पहुंचा हो तो उसके लिए मुझे अफसोस है। उनकी अहमियत की मेरे दिल में कोई कमी नहीं है। जब वह रैली में रामपुर आईं थीं, तब वह मेरी मेहमान थीं।

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