Haryana News: अमेरिका ने हरियाणा के 50 लोगों को रविवार को डिपोर्ट किया है। इन लोगों ने अमेरिका जाने के लिए अपनी जमीनें बेच दीं, घर गिरवी रख दिए थे और बेहतर जिंदगी का वादा करने वाले एजेंटों पर भरोसा किया। हालांकि, वह अवैध प्रवासियों पर अमेरिकी कार्रवाई में फंस गए। हरियाणा के अधिकारियों के अनुसार, डिपोर्ट किए गए लोगों में से 16 करनाल, 14 कैथल, पांच कुरुक्षेत्र और एक पानीपत से हैं।

उन्होंने बताया कि ये सभी लोग अमेरिका जाने के लिए डंकी रूट से गए थे। कुछ ने वहां सालों बिताए थे, तो कुछ ने कुछ ही महीने। डिपोर्ट होने से पहले कई लोग जेल भी गए थे। फ्लाइट में सवार लोगों में करनाल के राहरा गांव के रहने वाले अंकुर सिंह भी थे। उन्होंने बताया कि अक्टूबर 2022 में अमेरिका पहुंचने के लिए उन्होंने 29 लाख रुपये खर्च किए।

अंकुर सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “कई साउथ अमेरिकी देशों से होते हुए उनकी यात्रा में करीब चार महीने लगे। मैंने डंकी रूट चुना था और इस साल फरवरी तक सब ठीक रहा, जब मुझे जॉर्जिया में एक शराब की दुकान पर काम करते हुए गिरफ्तार कर लिया गया।” उसके बाद, मुझे एक कैंप में रखा गया। हम 24 अक्टूबर को भारत लौटने के लिए विमान में सवार हुए। हमारी फ्लाइट में हरियाणा के लगभग 50 लोगों के अलावा, पंजाब, हैदराबाद , गुजरात और गोवा के युवा भी थे।” उन्होंने आगे बताया कि अमेरिका जाने से पहले, वह करनाल के डीएवी कॉलेज में बीएससी की पढ़ाई कर रहे थे।

अब तक कितने नागरिकों को डिपोर्ट किया गया

विदेश मंत्रालय के अनुसार, जनवरी 2025 से अब तक लगभग 2500 भारतीय नागरिकों को आठ सैन्य, चार्टर और कमर्शियल फ्लाइट के माध्यम से अमेरिका से डिपोर्ट किया जा चुका है। इनमें से पहला, 104 भारतीयों को लेकर अमेरिकी वायु सेना का C-17 विमान, 5 फरवरी को अमृतसर पहुंचा था। डिपोर्ट किए गए लोगों में ज्यादातर लोग पंजाब, हरियाणा और गुजरात के हैं।

रविवार को डिपोर्ट किए गए लोगों में पोपरा गांव का हुसन भी था। वह तीन बहनों का इकलौता भाई है। हुसन ने सितंबर 2024 में अमेरिका जाने से पहले 12वीं तक पढ़ाई की थी। उसके चाचा, सुरेंद्र सिंह ने बताया कि परिवार ने एजेंटों को 45 लाख रुपये देने के लिए अपनी तीन एकड़ जमीन बेच दी थी। सुरेंद्र ने कहा, “अमेरिका में एंट्री करते ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया। यह हमारे लिए बहुत बड़ा सदमा था। वे रविवार रात 1 बजे के बाद दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे। उनके हाथों में हथकड़ियां लगी थीं और पैरों में भी बेड़ियां थीं।”

यात्रा के दौरान हमें हथकड़ियां लगाई गईं- नरेश कुमार

करनाल के कलसी गांव के रहने वाले हरीश एक अनुसूचित जाति के मजदूर परिवार से हैं। हरीश के भाई रिंकू ने बताया, “वह 2023 में वर्क वीजा पर कनाडा गए थे। लेकिन वहां लगभग एक साल बिताने के बाद वह अगस्त में अमेरिका चले गए और एक दुकान पर काम करने लगे। उन्हें इसी साल फरवरी में गिरफ्तार किया गया था।” कैथल के तारागढ़ गांव के रहने वाले नरेश कुमार एक साल से ज्यादा समय तक नजरबंदी में रहने के बाद लौटे। उन्होंने कहा, “यात्रा के दौरान हमें हथकड़ियां लगाई गईं, लेकिन उन्होंने हमारे साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं किया। डिपोर्ट होने से पहले मैं वहां 14 महीने जेल में रहा।”

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हमारे एजेटों ने हमें धोखा दिया- नरेश कुमार

नरेश कुमार ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “मैं 9 जनवरी 2024 को दिल्ली से निकला और 66 दिन बाद ब्राजील होते हुए अमेरिका पहुंचा। हमारे एजेंटों ने मुझे धोखा दिया। उन्होंने मुझसे 57.5 लाख रुपये ऐंठ लिए। पहले उन्होंने मुझे 42 लाख रुपये भेजने का वादा किया, लेकिन लगातार और मांगते रहे। मैंने एक एकड़ से ज्यादा जमीन बेची, ब्याज पर 6 लाख रुपये और उधार लिए, मेरे भाई ने 6.5 लाख रुपये में जमीन बेची और एक रिश्तेदार ने 2.85 लाख रुपये दिए।”

कैथल की एसपी उपासना ने बताया कि जिले के 14 लोगों को रविवार दोपहर करीब 2 बजे दिल्ली से लाया गया। उन्होंने बताया, “सभी डंकी रूट से अमेरिका में दाखिल हुए थे। उनमें से एक आबकारी के एक मामले में वांछित था और कई अदालती सुनवाइयों में शामिल नहीं हो पाया था।” जींद के एसपी कुलदीप सिंह ने पुष्टि की कि तीनों डिपोर्ट किए गए लोग उनके जिले के हैं। उन्होंने कहा, “उन्हें उनके परिवारों को सौंप दिया गया है।”

डंकी रूट के जरिये विदेश यात्रा करना एक गंभीर अपराध- एसपी

एसपी सिंह ने कहा, “डंकी रूट के जरिये विदेश यात्रा करना एक गंभीर अपराध है। इससे परिवारों की आर्थिक स्थिति खराब होती है और जान जोखिम में पड़ती है। कई लोगों को रास्ते में दुर्व्यवहार, धोखाधड़ी और यहां तक कि मौत का भी सामना करना पड़ता है।” उन्होंने कहा, “जो कोई भी विदेश जाना चाहता है, उसे केवल कानूनी तरीकों से ही ऐसा करना चाहिए। एजेंटों को भुगतान करने से पहले उनकी जांच कर लें, झूठे वादों में न फंसें।”

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