कानपुर पुलिस ने हाल ही में ‘आई लव मोहम्मद’ के पोस्टर और एक लाइटबोर्ड को लेकर नौ लोगों पर मामला दर्ज किया था। इस घटना ने न केवल उत्तर प्रदेश में बल्कि उत्तराखंड, गुजरात और कर्नाटक में भी विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। इन सबके बीच, कानपुर में पैगंबर मोहम्मद के जन्मदिन के उपलक्ष्य में आयोजित होने वाले वार्षिक बारावफात जुलूस के आयोजकों का कहना है कि पिछले साल इसी तरह के बैनर पर न तो कोई हंगामा हुआ और न ही पुलिस कार्रवाई हुई। बस फर्क इतना है कि वह कपड़े का बैनर था जबकि इस बार ये शब्द एक अच्छी तरह से रोशनी वाले डिस्प्ले बोर्ड पर लिखे गए थे।
बारावफात जुलूस के आयोजकों में से एक मोहम्मद सिराज का नाम भी एफआईआर में दर्ज है। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “हमें इसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं लगता। पिछले साल, हमने यही संदेश कपड़े के बैनर पर लगाया था और किसी ने कोई आपत्ति नहीं जताई थी। इस साल, हमने एक लाइट बोर्ड का इस्तेमाल किया और अचानक लोगों ने इस पर आपत्ति जतानी शुरू कर दी। मुझे समझ नहीं आ रहा कि ऐसा क्यों हुआ?” उन्होंने कहा कि स्थानीय पुलिस ने शिकायतकर्ताओं का समर्थन क्यों किया? हमने दूसरों के लिए कभी ऐसी आपत्ति नहीं उठाई।
FIR में नामजद लोग उलझन में
एफआईआर में नामजद सभी जाफर वाली गली के निवासी कहते हैं कि वे अभी भी एफआईआर को लेकर उलझन में हैं। नामजद एक व्यक्ति ने कहा, “हमें अभी भी समझ नहीं आ रहा है कि पुलिस ने हम पर मामला क्यों दर्ज किया है, क्या यह लाइट बोर्ड लगाने के लिए है या कथित तौर पर धार्मिक पोस्टर फाड़ने के लिए?”
पढ़ें- यूपी की फैक्ट्री में जल्द बनेंगी AK-203
25 साल के मोहम्मद सिराज का नाम भी एफ़आईआर में दर्ज है। उन्होंने इंडियन एक्स्प्रेस से कहा, “पुलिस ने अभी तक कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है इसलिए एफ़आईआर में दर्ज सभी नामज़द लोग और उनके परिवार चिंतित हैं। पुलिस अब हमारे बुज़ुर्गों से कह रही है कि लाइट बोर्ड लगाना कोई मुद्दा नहीं था लेकिन उन्होंने अभी तक यह नहीं बताया है कि बारावफ़ात जुलूस के आयोजकों पर मामला क्यों दर्ज किया गया।”
FIR में 9 लोगों के नाम
एफआईआर में जिन नौ लोगों के नाम हैं, उनमें से दो इमाम हैं। संपर्क करने पर इमाम शबनूर आलम ने कहा, “पुलिस ने मुझे मौके पर बुलाया था ताकि उन लोगों को समझा सकूँ जो लाइट बोर्ड को उसकी जगह पर ही रखने पर अड़े थे। जब मैंने उनसे बात की तो वे बोर्ड को दूसरी जगह ले जाने पर राज़ी हो गए। बस यही मेरी भूमिका थी और मुझे समझ नहीं आ रहा कि पुलिस ने मेरा नाम एफआईआर में क्यों डाला।”
एक अन्य इमाम शराफत हुसैन ने दावा किया कि वह उस इलाके से गुज़र रहे थे जहां बहस हो रही थी और कुछ देर के लिए रुके थे। फिर भी, पुलिस ने उन्हें भी मामले में नामज़द कर लिया है।” एफआईआर में जिन अन्य लोगों के नाम दर्ज हैं, उनमें फ़ोटो स्टूडियो चलाने वाले फ़ज़लू रहमान (35), बाइक मैकेनिक इकराम अहमद, छोटे-मोटे काम करने वाले बंटी और घर पर रहने वाले 70 वर्षीय इक़बाल शामिल हैं।
‘आई लव मोहम्मद’ के बोर्ड पर छिड़ा विवाद
पुलिस के अनुसार, कानपुर के मोहल्ला सैयद नगर में जाफर वाली गली के सामने ‘आई लव मोहम्मद’ लिखा बोर्ड लगाया गया था। पुलिस ने बताया कि 4 सितंबर को कुछ स्थानीय लोगों ने इस बोर्ड का विरोध किया और इसे नई परंपरा शुरू करने का प्रयास बताया। बोर्ड हटाने की कोशिशों के बाद इलाके में तीखी बहस और तनाव फैल गया और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को गुस्सा शांत करने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ा। आखिरकार, बोर्ड को हटाकर दूसरी जगह लगा दिया गया।
पुलिस ने बताया कि 5 सितंबर को जब बारावफ़ात का जुलूस चल रहा था, अज्ञात युवकों ने हिंदू संगठनों द्वारा लगाए गए धार्मिक पोस्टर कथित तौर पर फाड़ दिए। 10 सितंबर को, पुलिस ने रावतपुर थाने में FIR दर्ज की और जुलूस के आयोजकों सहित 9 लोगों और 15 अज्ञात लोगों को नामजद किया। अब तक इस मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।