Tillu Tajpuriya: सुबह जल्दी उठना, घंटों अखाड़े में कुश्ती की प्रैक्टिस करना, भोजन के साथ जमकर दूध और घी खाना और हर समय दिमाग में सिर्फ इंटरनेशनल रेस्लिंग इवेंट में मेडल जीतने का टारगेट रखना। बाहरी दिल्ली के तमाम गावों के युवाओं की तरह सुनील बालियान का सपना भी कुछ ऐसा ही थी। 20 साल की उम्र तक सुनील भी देश का चैपिंयन रेस्लर बनना चाहता था लेकिन शायद किस्मत में कुछ और ही लिखा था, पूरे देश में उसकी पहचान दिल्ली-एनसीआर के सबसे कुख्यात गैंगस्टर- टिल्लू ताजपुरिया के रूप में हुई।
बीते मंगलवार को टिल्लू ताजपुरिया को दिल्ली के तिहाड़ जेल में प्रतिद्वंदी गैंग के लोगों द्वारा चाकू से कई प्रहार कर मौत के घाट उतार दिया गया। टिल्लू को उसके गांव के लोग टिल्लू पहलवान कहते थे। गांव के लोग कहते हैं शुरुआत में उसे देखकर बिलकुल ऐसा नहीं लगता था कि वह क्राइम की दुनिया में चला जाएगा। पहचान न छापने की शर्त पर गांव के एक व्यक्ति ने बताया कि टिल्लू का ज्यादातर समय या तो कुश्ती की प्रैक्टिस करने या अपना शरीर बनाने में बीतता था… हमें कभी नहीं लगा कि टिल्लू भाई बंदूक उठा सकता हैं और पैसे या दुश्मनी के लिए लोगों को मार सकता है।
एमसीडी क्लर्क का बेटा औऱ डीटीसी ड्राइवर का भाई टिल्लू अपने शुरुआत के दिनों में पहलवानी करता था। गांव के लोग उसके परिवार को बेहद विनम्र बताते हैं। टिल्लू के कुश्ती के दिनों की तस्वीरों, पदकों और पुरस्कारों से कवर एक दीवार के सामने बैठे उसके पिता जगपाल सिंह ने बताया कि परिवार को लगता था कि उनका बेटा उन्हें गर्व महसूस करवाएगा।
पिता ने तोड़ लिए थे संबंध
जगपाल सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि किसी को भी यह नहीं पता कि उसने अचानक अच्छा-खासा करियर छोड़ ट्रैक चेंज कर लिया। टिल्लू निस्संदेह आक्रामक था। जिसका वह खेल में इस्तेमाल करता था और अपने प्रतिद्वंद्वियों को हरा देता था, लेकिन एक बार जघन्य अपराधों में उसका नाम आने के बाद, हम उससे उम्मीद खो बैठे थे। साल 2016 में उसकी गिरफ्तारी के बाद, मेरा बड़ा बेटा अनिल और मेरी पत्नी रहते थे उसके साथ संपर्क में था, लेकिन मैंने सारे संबंध तोड़ दिए… उसने परिवार की बदनामी की।
कॉलेज के चुनाव से दोस्तों में शुरू हुई दुश्मनी
दिल्ली पुलिस के सीनियर अधिकारियों के अनुसार, यह सब साल 2013 में कॉलेज के चुनाव से शुरू हुआ। जहां टिल्लू की उसके बचपन के दोस्त जितेंदर मान उर्फ गोगी के साथ प्रभुत्व व बाहुबल पर लड़ाई हुई। गोगी और टिल्लू डीयू के स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज में बीए के स्टूडेंट्स थे। कॉलेज के छात्र संघ चुनावों के दौरान उनकी दोस्ती टूट गई क्योंकि दोनों अपने-अपने पैतृक गांवों से अलग-अलग उम्मीदवारों का समर्थन कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि एकबार टिल्लू के सहयोगियों ने गोगी समर्थक उम्मीदवार के कुछ समर्थकों पर हमला किया, जिसके वजह से गोगी समर्थक उम्मीदवार चुनाव से हट गया। टिल्लू का उम्मीदवार चुनाव जीत गया – लेकिन इसने दोनों के बीच एक हिंसक दुश्मनी को जन्म दिया। इसके बाद के सालों में लोगों ने गोगी और टिल्लू गैंग के बीच खून-खराब देखा। दोनों के गैंग्स में दिन-दहाड़े कई बार फायरिंग हुई।
साल 2015 में गोगी और उसके साथियों ने टिल्लू के करीबी दीपक उर्फ राजू को गोली मार दी। कहा जाता है कि दीपक गोगी की कजिन के साथ रिलेशन में था और वह दीपक खुद को गोगी के गांव का दामाद बताकर शो ऑफ करता था। एक अधिकारी ने बताया कि दीपक की हत्या से टिल्लू दुखी था। इसके बाद टिल्लू के सहयोगियों ने कथित तौर पर गोगी के सहयोगी अरुण उर्फ कमांडो की हत्या कर दी थी। जवाबी कार्रवाई में गोगी ने कथित तौर पर टिल्लू के सहयोगी रवि भारद्वाज की गोली मारकर हत्या कर दी। उसने हरियाणवी सिंगर हर्षिता दहिया की भी हत्या कर दी, जो उस मामले की गवाह थी, जिसमें गोगी के सहयोगी दिनेश कराला को आरोपी बनाया गया था।
पुलिस ने बताया कि टिल्लू ने कथित तौर पर मामले के गवाहों को धमकाया और दो-तीन गवाहों को भी मार डाला, जिन्होंने उसके खिलाफ गवाही देने की कोशिश की थी। अधिकारी ने बताया कि एक-दूसरे के खून के प्यासे होने के अलावा, टिल्लू-गोगी की दुश्मनी बाहरी दिल्ली में जमीन को लेकर लड़ाई से ज्यादा थी। उनके वाहन महंगे थे, वे विदेशों से हथियारों की तस्करी करते थे, स्थानीय व्यवसायियों से जबरन वसूली कर थे.. उनके लिए यह शान की लड़ाई बन गई।
गोगी की मौत था टिल्लू का टारगेट
बेल पर जेल से बाहर चल रहे टिल्लू के एक बचपन के दोस्त ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जरायम की दुनिया में एंट्री के बाद टिल्लू का सिर्फ एक ही उद्देश्य बन गया गोगी की मौत। उसने बताया, “कॉलेज के दिनों में गोगी और टिल्लू एक साथ रहते थे और अक्सर एक-दूसरे के घर पर खाना भी खाते थे। टिल्लू गोगी के दोनों बहनों को अपनी बहनें मानता था और वह भी उनको लेकर बहुत प्रोटेक्टिव था।
टिल्लू के डोजियर के अनुसार, वह 14 से ज्यादा मामलों में शामिल था। उसपर MCOC Act के तहत भी केस दर्ज था। उसके डोजियर के अनुसार, वह दिन दहाड़े कई जघन्य अपराधों को भी अंजाम दे चुका था। वह एक मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा था। दूसरे मामले में दोषी घोषित किया जा चुका था। एक अन्य मामले में गवाह के मुकर जाने पर उसे बरी कर दिया गया था। उसके खिलाफ लगभग नौ मामले लंबित थे।
साल 2016 में गिरफ्तारी के बाद भी टिल्लू कथित तौर पर पैसे और फोन की तस्करी कर अपने गिरोह का नेतृत्व करता रहा। जेल के समय से ही पुलिस रिकॉर्ड में उसके खिलाफ हत्या, आर्म्स एक्ट, हत्या के प्रयास और जबरन वसूली के नौ से अधिक मामलों में उसकी सक्रिय संलिप्तता दिखाई गई है। एक अधिकारी ने बताया कि वह अपने साथियों से बातचीत करने के लिए सिग्नल और व्हाट्सएप जैसे ऐप का इस्तेमाल करता था। जेल अधिकारियों ने उसके सेल से इंटरनेट डोंगल, सिम कार्ड और चाकू भी बरामद किए। वह ये सामान दूसरे कैदियों को देता था।
कैसे शुरू हुआ पतन
साल 2017 के आसपास गोगी और टिल्लू के बीच की लड़ाई तब और बढ़ गई जब गोगी ने लॉरेंस बिश्नोई के साथ हाथ मिला लिया। लॉरेंस दुबई में रहने वाले गैंगस्टर संदीप उर्फ काला जठेड़ी और कनाडा में गोल्डी बराड़ के करीबी सहयोगी में से है। टिल्लू की तरफ नीरज बवाना, पंजाब का बंबीहा गैंग, कौशल गैंग और जग्गू भगवानपुरिया थे।
स्पेशल सेल के अधिकारियों ने बताया कि टिल्लू ने हमेशा यह साबित करने की कोशिश की कि वह अपने क्षेत्र में दूसरों से बेहतर है। सभी जानते हैं कि बिश्नोई-बराड़-गोगी ने सालों तक दिल्ली और उसके आसपास आतंक मचा रखा था। कोई उनके खिलाफ नहीं जाना चाहता था। उनके पास विदेशों में छिपने और गिरोह चलाने के लिए पैसा और संसाधन थे। टिल्लू को यह पसंद नहीं आया। हालांकि, रोहिणी कोर्ट शूटआउट तक किसी ने भी उस पर या उसकी गतिविधियों पर ध्यान नहीं दिया।
दिसंबर 2021 में, गोगी सुनवाई के लिए रोहिणी अदालत के अंदर था, जब वकीलों के वेश में दो हमलावरों ने उस पर गोलियां चलाईं, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। कोर्ट के अंदर पुलिस ने तुरंत हमलावरों को मार गिराया। उन्होंने बाद में एक बयान जारी कर कहा कि यह टिल्लू था जिसने जेल के अंदर से हत्या की साजिश रची थी।
इस मामले की चार्जशीट में बताया गया है कि गोगी को मारने के लिए 60 दिनों तक योजना बनाई गई। हमलावरों को चुनना, उन्हें अदालती कामकाज के बारे में पढ़ाना, पैसे की व्यवस्था करना, दिल्ली और पानीपत की अदालत में रेकी करना और मुरथल से हथियारों की व्यवस्था करना शामिल था।
स्पेशल सेल के अधिकारी ने बताया कि टिल्लू ने दो दशकों से अधिक समय से चल रहे एक संगठित क्राइम सिंडिकेट के प्रमुख को मार डाला… उसने समुद्र में सबसे बड़ी मछली पकड़ी थी, उससे बड़ी मछली जिसे वह पकड़ नहीं सकता था। गोलीबारी से बराड़ और गिरोह के अन्य गैंगस्टर्स भड़क गए। बिश्नोई और दीपक बॉक्सर जैसे गैंगस्टर उसे मरवाना चाहते थे। इस वजह से टिल्लू ने घर जाने के लिए पैरोल का आवेदन नहीं किया।
हालांकि गैंगस्टर को जल्द ही टिल्लू को मारने का मौका मिल गया। टिल्लू को मंडोली से तिहाड़ की जेल नंबर-8 में शिफ्ट किया गया था। डीजी जेल संजय बेनीवाल के कार्यालय के अनुसार, सुरक्षा कारणों से 22 अप्रैल को शिफ्ट किया गया। इसके बाद 10 दिनों के भीतर, गोगी के लोगों, गैंगस्टर दीपक तीतर और योगेश टुंडा ने टिल्लू को मारने के लिए दो कैदियों- रियाज खान और राजेश को लगाया।