Samajwadi Party Leader Azam Khan: यूपी सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री और समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेताओं में शुमार आजम खान इस वक्त काफी चर्चा में है। जेल से रिहा होने के बाद उन्होंने कई इंटरव्यू दिए। हर इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि उनको जेल में कई तरह की यातनाओं का सामना करना पड़ा। यहां तक कि उन्होंने यह भी बताया कि जिस सीतापुर की जेल की कोठरी में उनको रखा गया था, उसकी लंबाई-चौड़ाई कितनी थी।
आजम खान ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में अपनी जेल की दिनचर्या का भी जिक्र किया। आजम खान बताते हैं कि जिस कोठरी में मुझे रखा गया था वो 7/11 की थी। जिस कैंपस में यह कोठरी थी उसे फांसी घर कहा जाता है। उसी के बराबर में फांसी देने की जगह भी बनी हुई है।
पूर्व मंत्री ने बताया कि 24 या 28 कोठरियां हैं, सिर्फ एक कोठरी में मैं था। दूसरी में दो बंदी थे। वो इसलिए थे कि कहीं मैं फंदा न लगा लूं। क्योंकि हिंदुस्तान में सबसे ज्यादा सुसाइड केस सीतापुर जेल का ही है। अन्य कोठरियों में कूड़ा और कबाड़ भरा था, सांप, बिच्छू और अन्य जन्तु थे। कोठरी में दो-दो, ढाई-ढाई मोटी इंच काई थी। ऐसे में मैं वहां रहता था। वहीं, मुझे कोरोना हुआ था। किसी को अनुमति नहीं थी मेरे पास आने की।
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आजम खान कहते हैं कि मैं ही एक ऐसा बंदी था जिसको टेलीफोन करने की भी इजाजत नहीं थी। जबकि चोरी, हत्या, डकैती और 10 कत्ल किए हुए लोगों को भी यह सुविधा थी, लेकिन मुझे नहीं थी, क्योंकि यह मेरा सौभाग्य था। सपा नेता ने कहा कि जब इमरजेंसी के दौरान मुझे जेल में बंद किया गया तो मुझे उस कोठरी में रखा गया, जिसमें कभी सुंदर डाकू रहता था। जिसको फांसी हुई थी। आजम खान ने कहते हैं कि यह कोठरी जमीन के अंदर थी। जिसमें एक रोशनदान लगा था। जिससे दिन-रात और दोपहर का पता चलता था। वो कहते हैं कि मेरे साथ ही पता नहीं ऐसा क्यों है कि कोई भी सरकार रही हो, बड़ा जालिमाना सलूक किया है। अमानवीयता की सारी हदें पार हो गईं।
सपा नेता ने कहा कि यह बात सही नहीं है कि मुझे कोई जहर दिया गया। हां, मैंने इतना जरूर सुना था कि मुख्तार अंसारी की मौत किस वजह से हुई तो मैं थोड़ा मोहतात (सतर्क) हो गया। आजम खान ने बताया कि उसके बाद मैं जेल में नींबू के अचार और हरी मिर्च से सिर्फ एक छोटी सी रोटी दोपहर में खाता था और एक रोटी का कुछ हिस्सा रात में खाता था। बता दें, आजम खां 22 अक्टूबर 2023 से सीतापुर जिला कारागार में निरुद्ध थे। 23 सितंबर को रिहा होकर रामपुर पहुंचे थे।
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