Satish Jarkiholi: कर्नाटक के पूर्व मंत्री और कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष सतीश जरकीहोली अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते हैं, सोमवार (7 नवंबर) को एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। 60 वर्षीय नेता ने रविवार (6 नवंबर) को एक गोष्ठी के दौरान कहा था कि ‘हिंदू’ शब्द की उत्पत्ति फारसी में हुई थी और मूल शब्द का कोई सुखद अर्थ नहीं होता है। उनका ये बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और लोगों ने उनकी जमकर आलोचना की इस बयान के बाद बीजेपी ही नहीं बल्कि कांग्रेस ने भी उनसे दूरी बना ली।

बेलगावी के चीनी कारोबारी परिवार में सतीश जारकीहोली पांच भाइयों में दूसरे नंबर पर हैं इनमें से चार अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों में हैं। जारकीहोली बंधु वाल्मीकि नायक समुदाय के नेता हैं। वो अपनी कट्टरपंथी विचारधारा के आड़े किसी को भी नहीं आने देते हैं। 6 दिसंबर, 2014 को, जब वह बमुश्किल एक साल पुरानी कांग्रेस सरकार में आबकारी मंत्री थे, जारकीहोली ने कब्रिस्तान के आसपास के अंधविश्वास को दूर करने के लिए बेलगावी शहर के एक कब्रिस्तान में रात का खाना खाया था और एक रात बिताई थी।

बाबा साहेब अंबेडकर की पुण्यतिथि की रात कब्रिस्तान में बिताई

जारकीहोली और उनके सहयोगी उस समय सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के कर्नाटक अंधविश्वास विरोधी विधेयक पेश करने के लिए दबाव बना रहे थे। उस दौरान उन्होंने कब्रिस्तान में रहने के लिए संविधान के निर्माता बी आर अंबेडकर की पुण्यतिथि को चुना। मृदुभाषी कांग्रेसी नेता ने उस समय कहा, “मैं कब्रिस्तानों और उनसे जुड़े डर को घेरने वाले मिथकों का भंडाफोड़ करना चाहता हूं और यह दिखाना चाहता हूं कि वे शांतिपूर्ण स्थान हैं।”

साल 2015 में मंत्री पद से दिया इस्तीफा

जब सिद्धारमैया सरकार अंधविश्वास विरोधी विधेयक सफल नहीं हो पाई तब उन्होंने साल 2015 में मंत्रिपद से इस्तीफा दे दिया था। सिद्धारमैया के साथ अपने पुराने जुड़ाव के बावजूद जारकीहोली ने यह कदम उठाया कांग्रेस के लिए पार्टी छोड़ने से पहले दोनों जद (एस) में एक साथ थे। अपने बड़े भंडार के साथ यमकानामराडी के विधायक ने साल 2021 में अपने चीनी कारोबार और अन्य कारोबार से अपनी संपत्ति की घोषणा की थी जो कि 148 करोड़ से अधिक है। 2013 के चुनावों में जारकीहोली सिद्धारमैया की वित्तीय मदद की थी तब कांग्रेस जीती थी और सिद्धारमैया मुख्यमंत्री बने थे।

कांग्रेस ने किया बयान से किनारा

कर्नाटक में भाजपा द्वारा कांग्रेस नेता पर हमला किए जाने के बाद एआईसीसी महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि जारकीहोली की टिप्पणी “बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण” थी और पार्टी ने उनकी निंदा की। कांग्रेस के कर्नाटक प्रभारी सुरजेवाला ने सोशल मीडिया पर कहा,“हिंदू धर्म जीवन का एक तरीका और सभ्यतागत वास्तविकता है। कांग्रेस ने हर धर्म, आस्था और आस्था का सम्मान करने के लिए हमारे राष्ट्र का निर्माण किया। यही भारत का सार है।”

डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया के साथ सीएम की रेस में

संयोग से जारकीहोली की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब उन्होंने सुझाव दिया है कि अगर पार्टी 2023 में जीतती है तो वह कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवारों में से एक हो सकते हैं, जिससे उन्हें सिद्धारमैया और डी के शिवकुमार के साथ प्रतिस्पर्धा करनी पड़ सकती है। सिद्धारमैया सरकार में मंत्री रहते हुए जारकीहोली के साथ मिलकर काम करने वाले कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने अंधविश्वास विरोधी कानून सहित कई मुद्दों पर निर्णायक कार्रवाई नहीं कर रहे हैं और इस पर तेजी से आगे नहीं बढ़ रहे हैं। इसके बाद 2020 में जारकीहोली को कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया।

अपनी हरकतों से मीडिया में छाए रहते हैं जारकीहोली बंधु

एक ओर सतीश जारकीहोली ने जहां अपने बयान से हड़कंप मचा दिया है वहीं उनके दूसरे भाई भी आए दिन मीडिया की सुर्खियों में छाए रहते हैं।
62 वर्षीय बीजेपी विधायक रमेश जारकीहोली को 2021 में रेप के आरोप की वजह से मंत्री पद से हटाए गये थे। वहीं 56 वर्षीय बीजेपी विधायक बालचंद्र जारकीहोली और विधान परिषद के एक निर्दलीय सदस्य 51 वर्षीय लखन जारकीहोली का बेलगावी में काफी राजनीतिक दबदबा है। सतीश और भीमशी के साथ उनके पिता लक्ष्मण जरकीहोली इन तीनों पर 1980 के दशक में शराब के ठेके से जुड़े एक कथित विवाद पर एक आबकारी निरीक्षक की हत्या करने का आरोप लगाया गया था। हालांकि बाद में उन्हें बरी कर दिया गया था।