महाराष्ट्र में हिंदी-मराठी विवाद के बीच शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र में नहीं तो मराठी भाषा कहां बोली जाएगी- पाकिस्तान या बांग्लादेश में? इससे पहले राउत ने रविवार को कहा था कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के एक साथ आने से मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सहित सत्तारूढ़ महायुति के नेता घबरा गए हैं।
शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने कहा, “कुछ लोग संस्कृति और मराठी भाषा को स्वीकार करने से इनकार करते हैं। महाराष्ट्र में नहीं, तो मराठी भाषा कहां होगी-पाकिस्तान, बांग्लादेश या नेपाल में? अगर लोग किसी भाषा के लिए आंदोलन करते हैं तो आशीष शेलार उनकी तुलना पहलगाम के आतंकवादियों से करते हैं, यह गलत है और यह भाजपा की मानसिकता को दर्शाता है।”
ठाकरे बंधुओं के साथ आने से फडणवीस घबरा गए- संजय राउत
राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने रविवार को कहा कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के एक साथ आने से मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस सहित सत्तारूढ़ ‘महायुति’ के नेता घबरा गए हैं। राउत ने संवाददाताओं से कहा कि ठाकरे बंधुओं ने शनिवार को भारतीय जनता पार्टी की सरकार द्वारा हिंदी भाषा संबंधी सरकारी आदेश वापस लिए जाने का जश्न मनाने के लिए ‘विजय’ रैली आयोजित की जिससे महायुति के नेता असमंजस में हैं।
मराठी भाषा विवाद पर BJP सांसद ने दिया चैलेंज
चचेरे ठाकरे भाई पिछले दो दशकों में पहली बार एक साथ राजनीतिक मंच पर नजर आए थे। इस दौरान उद्धव ने संकेत दिया कि शिवसेना (यूबीटी) और मनसे के बीच राजनीतिक गठबंधन हो सकता है। राउत ने कहा, ‘‘महायुति नेता और देवेंद्र फडणवीस ठाकरे बंधुओं के साथ आने से परेशान हैं।’’ शिवसेना-मनसे की जनसभा के बाद फडणवीस ने दावा किया था कि उद्धव ठाकरे ने रुदाली जैसा भाषण दिया है। जिस पर राउत ने कहा, ‘‘फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को ठाकरे बंधुओं के साथ आने पर अब रोने का कार्यक्रम शुरू करना चाहिए।’’
संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र ने हिंदी थोपे जाने के खिलाफ लड़ाई जीत ली
उद्धव और राज ठाकरे ने दरअसल, शनिवार को संयुक्त रूप से मुंबई के वर्ली में आवाज मराठीचा नाम से एक विजय रैली आयोजित की थी। इसमें फडणवीस सरकार द्वारा सरकारी विद्यालयों में पहली कक्षा से हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में शामिल करने संबंधी दो सरकारी आदेशों को वापस लेने का जश्न मनाया गया था।
राज्यसभा सदस्य ने कहा कि महाराष्ट्र ने हिंदी थोपे जाने के खिलाफ लड़ाई जीत ली है। उन्होंने कहा कि दो ठाकरे भाइयों और सहयोगियों की एकता ने यह जीत हासिल की है। राउत ने रैली के बाद कहा कि कई दक्षिण भारतीय राज्यों के नेताओं, विशेष रूप से तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने जोर देकर कहा है कि वे केंद्र से लड़ सकते हैं और हिंदी थोपने को उखाड़ फेंक सकते हैं। पढ़ें- ठाकरे भाइयों के मिलाप से कितनी बदलेगी महाराष्ट्र की सियासत?
( भाषा के इनपुट के साथ)