हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही भारी बारिश ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। अब तक राज्य में बारिश से जुड़ी घटनाओं में 37 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि सड़क हादसों में 26 और लोगों ने जान गंवाई है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुताबिक राज्य में 400 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति का नुकसान दर्ज किया गया है और यह आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है।

मौसम विभाग ने 7 जुलाई तक राज्य में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। कई जिलों में जलभराव, भूस्खलन और नदियों में उफान से हालात गंभीर बने हुए हैं। मंडी जिला इस आपदा से सबसे ज्यादा प्रभावित है। खासकर थुनाग उपखंड में सड़कें टूट गई हैं, बिजली और पानी की आपूर्ति ठप हो गई है और कई गांवों से संपर्क पूरी तरह कट गया है।

मंडी का एक गांव पूरी तरह तबाह

राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के विशेष सचिव डीसी राणा ने बुधवार को पत्रकारों को बताया कि मंडी का एक गांव पूरी तरह तबाह हो गया है और अकेले इस जिले में करीब 40 लोग लापता हैं। राहत और बचाव के लिए सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस और होमगार्ड की टीमें जुटी हुई हैं। प्रभावित क्षेत्रों में राहत शिविर बनाए गए हैं और भारतीय वायुसेना द्वारा खाने के पैकेट भी गिराए जा रहे हैं।

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पूरे राज्य में 250 से अधिक सड़कें अब भी बंद हैं, 500 से ज्यादा बिजली ट्रांसफॉर्मर ठप हैं और लगभग 700 पेयजल योजनाएं प्रभावित हुई हैं। सरकारी विभागों के इंजीनियर बहाली के काम में लगे हुए हैं। राणा ने कहा कि “हमारा फोकस इस समय खोज, राहत और पुनर्बहाली पर है। नुकसान की असली तस्वीर कुछ दिनों बाद साफ होगी।”

शिमला में भी भारी बारिश ने लोगों की जिंदगी को अस्त-व्यस्त कर दिया है। स्कूलों में पानी भर गया है और बच्चों में डर का माहौल है। शिमला की छात्रा तनुजा ठाकुर ने बताया, “हमारे क्लासरूम में पानी घुस गया है, कपड़े और किताबें भीग गई हैं। शिक्षकों ने हमें घर में ही रहने को कहा है।”

डीसी राणा ने इन घटनाओं के पीछे जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि हिमाचल भी अब इस संकट से अछूता नहीं रहा। अगले कुछ दिनों तक राज्य में और बारिश की संभावना जताई गई है, ऐसे में प्रशासन अलर्ट मोड पर है और स्थिति पर नजर रखी जा रही है।