Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में छह महीनों से लावारिस बने हुए कांग्रेस संगठन में आखिरकार अब बड़े बदलाव किए जाने की आहट सुनाई देने लगी है। इसके लिए नई दिल्ली में बड़े स्तर पर काम हो रहा है। छह नवंबर 2024 को प्रदेश के राज्य, जिला व ब्लाक स्तर के संगठन को एक ही झटके में निरस्त कर दिया गया था। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद संगठन के बीच चलती आ रही तनातनी के बीच रविवार तक न तो राज्य स्तर पर ही कांग्रेस की कार्यकारिणी बनाई जा सकी है और न जिला व ब्लाक स्तर पर ही कोई पदाधिकारी बनाया जा सका है।

इस समय प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह को छोड़ कर प्रदेश में कोई भी कांग्रेस का पदाधिकारी कार्यरत नहीं है। 130 साल से भी अधिक पुरानी कांग्रेस के इतिहास में ऐसा शायद पहली बार हो रहा है कि किसी भी स्तर पर कोई भी संगठन अस्तित्व में नहीं है। बिना संगठन के किसी भी स्तर की कोई बैठक नहीं हो रही है। गाहे बगाहे प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह जरूर किसी जिला का दौरा कर लेती हैं मगर वहां भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं के रोष का सामना करना पड़ता है।

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आपस में ही भिड़ गए कांग्रेसी

ताजा उदाहरण प्रदेश के बिलासपुर जिले का है जहां दो रोज पहले ही प्रदेशाध्यक्ष ने बैठक की तो उनके सामने ही कांग्रेसी आपस में बुरी तरह से भिड़ गए। जोरदार नारेबाजी हुई, सरेआम आरोप प्रत्यारोप लगे। यहां तक आरोप लगे कि कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को तो पता ही नहीं लग रहा है कि प्रदेश में उनकी सरकार चल रही है। ऐसा लगता है कि कांग्रेस सरकार में भी भाजपाइयों की ही सुनी जा रही है। इसके उन्होंने नाम लेकर कई उदाहरण भी दिए।

आलाकमान के भरोसे प्रतिभा सिंह

स्वयं प्रतिभा सिंह ने माना कि संगठन बनाने में देरी हो रही है। उनका कहना था कि यह सब उनके हाथ में नहीं है। आलाकमान को ही यह सब करना है और इसके लिए वह कई बार अपनी बात रख चुकी हैं। उनका यह भी कहना था कि प्रदेश की नई प्रभारी रजनी पाटिल से भी इस बारे में कई बार बात हो चुकी है। उन्होंने उम्मीद जताई कि कुछ ही दिनों में प्रदेश में हर स्तर पर कमेटियों का गठन कर दिया जाएगा।

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दिल्ली में सीएम सुखविंदर सिंह समेत कई नेता

इसी बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, अध्यक्ष प्रतिभा सिंह व अन्य कई नेता इसी सप्ताह दिल्ली में डेरा डाले रहे। आलाकमान से भी बात उनकी हुई है। सूत्रों से सामने आया है कि प्रतिभा सिंह को हटाकर किसी नए नेता को प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है और फिर उसके बाद ही प्रदेश, जिला व ब्लाक स्तर की कमेटियों का गठन होगा। ऐसे में कुछ मंत्रियों को हटाकर उन्हें संगठन की जिम्मेवारी सौंपने के भी चर्चे हैं।

प्रतिभा सिंह को लेकर टकराव

सुखविंदर सिंह सुक्खू अपनी पसंद का अध्यक्ष चाहते हैं ताकि हर स्तर पर उनके समर्थकों को संगठन में तरजीह मिल सके। दूसरा धड़ा जो वीरभद्र कैंप का है वह प्रतिभा सिंह को ही बनाए रखने की पैरवी में जुटा है और लगातार दिल्ली की दौड़ लगा रहा है। कुछ भी हो मगर हिमाचल प्रदेश में प्रदेशाध्यक्ष को छोड़ कर किसी भी स्तर पर इस समय कोई भी पदाधिकारी कार्यरत नहीं है जो एक आश्चर्यजनक वाकया राजनीतिक दृष्टि से कहा जा सकता है। अब साल के अंत में प्रदेश में पंचायती राज संस्थानों व स्थानीय निकाय यानी ग्रामीण संसद के चुनाव होने हैं। यदि संगठन बनाने में और देरी हुई तो इसमें कांग्रेस को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।