ओम प्रकाश ठाकुर

हिमाचल प्रदेश में 12 नवंबर को विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे। वहीं बीजेपी और कांग्रेस के अलावा विधानसभा चुनाव में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी भी 11 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और उम्मीदवारों की घोषणा भी कर चुकी है। शिमला जिले के ठियोग सीट पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी।

हालांकि 2017 की जीत कांग्रेस की अंदरूनी कलह के कारण हुई थी और राकेश सिंघा ने जीत हासिल की थी। वहीं इस बार कांग्रेस और बीजेपी दोनों में गुटबाजी चल रही है और इसी कारण कम्युनिस्ट पार्टी अच्छे परिणाम की उम्मीद कर रही है।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के एक नेता ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि पार्टी के पास विधानसभा जीतने के लिए पर्याप्त जनाधार नहीं है। लेकिन राज्य भर में पार्टी के कार्यकर्ता जरूर है और शिमला में अच्छी संख्या में है। 2017 से पहले मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया ने आखिरी बार 1993 में एक विधानसभा सीट पर जीत हासिल की थी। हालांकि सीपीआई (एम) ने शिमला नगर निगम सहित अन्य चुनावों में जीत हासिल की है। 2012 में सीपीएम ने एक निगम में महापौर और उप महापौर दोनों पदों पर कब्जा कर लिया था।

जिन 11 सीटों के लिए सीपीएम ने उम्मीदवारों का फैसला किया है, उनमें ठियोग सीट शामिल है, जहां से राकेश सिंघा उम्मीदवार हैं। मंडी जिले की सिराज सीट से महेंद्र राणा को भाजपा के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के खिलाफ खड़ा किया जाएगा। वहीं शिमला (शहरी) से उम्मीदवार शिमला के पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र सिंह पंवार हैं। कसुमापति से पूर्व आईएफएस अधिकारी और किसान सभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह तंवर को मैदान में पार्टी उतार रही है। बता दें कि भारतीय जनता पार्टी ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपने स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी कर दी है। 

जुब्बल-कोठकाई से सीपीएम उम्मीदवार किसान नेता विशाल शंकटा, अन्नी से देवकी नंद, करसोग से किशोरी लाल, कुल्लू से सीपीएम के उम्मीदवार होतम सिंह सोनखला, जोगिंदर नगर से कुशाल भारद्वाज, हमीरपुर से कश्मीर सिंह ठाकुर और पच्छड़ से आशीष कुमार उम्मीदवार हैं। इन 11 सीटों में से ठियोग में जहां सीपीएम का कब्जा है, वहीं बीजेपी ने आठ और कांग्रेस ने 2017 में दो सीटें जीती थीं। 2021 के उपचुनाव में कांग्रेस ने जुब्बल-कोटखाई में जीत हासिल की थी।

सीपीएम के सचिव ओंकार शाद ने कहा कि केंद्रीय समिति ने उन्हें अपनी सारी ऊर्जा इन सीटों पर लगाने के लिए कहा है। साथ ही जहां भी उम्मीदवार लड़ रहे हैं, वहां उम्मीदवारों का समर्थन करें। बची हुई सीटों पर सीपीएम भाजपा के खिलाफ सबसे मजबूत उम्मीदवार का समर्थन करेगी।

सीपीएम के मजबूत होने से कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान होगा, ऐसे समय में जब कांग्रेस को लगता है कि उसके पास राज्य में सत्ता में वापस आने का अच्छा मौका है। इस बारे में पूछे जाने पर शाद ने कहा, “हम कांग्रेस के लिए काम नहीं कर रहे हैं। हमारी प्रतिबद्धता क्लास राजनीति के प्रति है।” हालांकि, पार्टी के नेताओं ने माना कि चुनाव के बाद कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर दरवाजे पूरी तरह से बंद नहीं हैं।