Hearing In Supreme Court On Hijab Row: कर्नाटक में हिजाब को लेकर शुरू हुए विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को भी सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट के सामने दोनों पक्षों की ओर से हिजाब को लेकर तमाम तरह के तर्क रखे गए। कर्नाटक सरकार का कहना है कि राज्य के स्कूल-कॉलेजों में मुस्लिम लड़कियों के हिजाब पहनने के विवाद के पीछे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का हाथ है। दूसरी तरफ जनता दल (सेक्युलर) के कर्नाटक इकाई के प्रमुख सीएम इब्राहिम ने कर्नाटक सरकार पर निशाना साधते हुए अलग तरह का तर्क दिया। उन्होंने कहा कि हिजाब हो या पल्लू, दोनों एक ही है। पल्लू से सिर ढकना भारत की संस्कृति है। भारत का इतिहास है। यह भारत के संस्कार हैं।

उन्होंने बेंगलूरू में मीडिया से कहा, “पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पल्लू पहनती थीं, यहां तक कि भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी पल्लू पहनती हैं, यह भारत की संस्कृति है। क्या वह घूंघट पीएफआई की साजिश है? हिजाब हो या पल्लू, दोनों एक ही है। पल्लू से सिर ढकना भारत की संस्कृति है। भारत का इतिहास है। यह भारत के संस्कार हैं।”

अदालत में ईरान की महिलाओं के हिजाब नहीं पहनने का दिया गया तर्क

न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की उच्चतम न्यायालय की पीठ कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बुधवार को भी सुनवाई करेगी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। यहां तक कि ईरान जैसे संवैधानिक रूप से इस्लामी देशों में भी सभी महिलाएं हिजाब नहीं पहनती हैं। वे इसके खिलाफ लड़ रही हैं। तुषार मेहता ने कर्नाटक सरकार के आदेश को प्रस्तुत किया, जिसमें सिफारिश की गई थी कि सभी छात्र निर्धारित वर्दी पहनेंगे।

उन्होंने पीठ को बताया, “पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया नामक एक संगठन के नेतृत्व में सोशल मीडिया पर एक मुहिम शुरू हुई थी। सोशल मीडिया मुहिम को लोगों की धार्मिक भावनाओं के आधार पर आंदोलन बनाने के लिए तैयार किया गया था।”

कर्नाटक हिजाब प्रतिबंध के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दलील रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा, “हिजाब गरिमा में इजाफा करता है। जब कोई महिला इसे पहनती है तो वह उसको गरिमापूर्ण बनाता है। जैसे एक हिंदू महिला जब अपने सिर को साड़ी से ढकती है, तो वह उसकी गरिमा को बढ़ाती है।”