बिहार में महागठबंधन के लिए एक बुरी खबर आई है। पड़ोसी राज्य झारखंड में चल रही सरकार की अगुवाई कर रहे झारखंड मुक्ति मोर्चा ने महागठबंधन से अलग होकर बिहार चुनाव लड़ने का फैसला किया है। झामुमो ने 6 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।

झामुमो ने महागठबंधन को पहले ही बता दिया था कि वह बिहार में विधानसभा का चुनाव लड़ेगा और इसके लिए उसे सम्मानजनक सीटें दी जानी चाहिए लेकिन लंबे वक्त तक चली बातचीत के बाद भी महागठबंधन ने झामुमो को सीट बंटवारे में तवज्जो नहीं दी।

इसके बाद नाराज होकर पार्टी ने शनिवार शाम को ऐलान किया कि वह 6 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी।

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तेजस्वी को दी थी जानकारी

झामुमो ने कहा था कि उसने आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को उन सीटों के बारे में बता दिया था, जिन पर वह चुनाव लड़ना चाहता है। बिहार विधानसभा के लिए दो चरणों में- 6 और 11 नवंबर को मतदान होना है और मतगणना 14 नवंबर को होगी।

झामुमो के महासचिव एवं प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘पार्टी ने बिहार चुनाव अपने दम पर लड़ने का फैसला किया है। वह छह विधानसभा सीट चकाई, धमदाहा, कटोरिया (सुरक्षित), मनिहारी (सुरक्षित), जमुई और पीरपैंती पर चुनाव लड़ेगी।’’ इन सीटों पर दूसरे चरण में 11 नवंबर को मतदान होगा। 

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महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर पहले से ही विवाद चल रहा है। कई सीटें ऐसी हैं, जहां पर महागठबंधन में शामिल दलों ने एक-दूसरे के खिलाफ ही उम्मीदवारों को मैदान में उतार दिया है।

महागठबंधन को नुकसान होगा?

झामुमो की नजर झारखंड की सीमा से सटे आदिवासी इलाकों की सीटों पर है। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में झामुमो ने आरजेडी के साथ सीट शेयरिंग न हो पाने के कारण चार सीटों पर अकेले चुनाव लड़ा था लेकिन उसे कोई सफलता नहीं मिली थी। 2005 के चुनाव में झामुमो ने बिहार में दो सीटें जीती थीं जबकि 2010 में यह घटकर सिर्फ एक पर रह गई थी।

सवाल यह है कि क्या झामुमो के अलग चुनाव लड़ने से महागठबंधन को नुकसान होगा

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