बिहार की सीवान लोकसभा पर मुकाबला दिलचस्प माना जा रहा है। यहां तेजस्वी यादव की मुश्किलें निर्दलीय उम्मीदवार हीना शहाब ने बढ़ा दी हैं। एक समय था जब उनके पति मोहम्मद शहाबुद्दीन आरजेडी के मुखिया लालू प्रसाद के काफी करीबी माने जाते थे। वह सीवान से कई बार सांसद भी रहे। 

शहाबुद्दीन का बिहार की राजनीति में काफी प्रभाव था और खासकर मुसलमानों पर उनकी काफी पकड़ थी। तब सीवान और आसपास के जिलों समेत पूरे बिहार में मुसलमान एकजुट होकर शहाबुद्दीन के नाम पर राजद को वोट करते थे। 

क्यों RJD से बढ़ी दूरी?

मई 2021 में  शहाबुद्दीन की मृत्यु के बाद स्थिति बदल गई और तब से राजद और शहाबुद्दीन के परिवार के बीच दूरी बढ़ती हुई दिखाई दी। तिहाड़ जेल में सजा काट रहे मोहम्मद शहाबुद्दीन की मौत के बाद जब उन्हें दिल्ली में दफनाया गया तो लालू परिवार से कोई भी तदफीन (जनाज़ा) में शामिल नहीं हुआ था, हालांकि, बाद में राजद नेता तेजस्वी यादव अक्टूबर 2021 में शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब की शादी में शामिल होने गए।

अब शहाबुद्दीन की पत्नी सीवान से चुनावी मैदान में हैं। उन्होंने तीन बार 2009, 2014 और 2019 में राजद के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिल सकी थी। पिछले चुनाव में उन्हें 3,31,515 वोट मिला था, उनका वोट शेयर 33.66% था। 

राजद की क्यों बढ़ रही चिंता

अब सवाल यह है कि हीना शहाब के मैदान में होने से राजद को क्या दिक्कत है? तो उनके तनाव सीधी वजह यह है कि सीवान क्षेत्र में मुस्लिम आबादी काफी है।  इसमें तीन लाख मुस्लिम, 2.5 लाख यादव, 1.25 लाख कुशवाहा और करीब 80,000 सहनी मतदाता हैं. इसके अलावा करीब चार लाख ऊंची जाति और 2.5 लाख अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) के मतदाता हैं। जब शहाबुद्दीन राजनीति में अपने चरम पर थे, तब उनका प्रभाव हर जाति समूह के उच्च वर्ग के बीच दिखाई देता था।

अब जब हीना शहाब मैदान में है तो यहां मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। जनता दल-(यूनाइटेड) की ओर से विजयलक्ष्मी कुशवाहा मैदान में हैं तो वहीं  राजद उम्मीदवार अवध बिहारी चौधरी हैं।