Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। राज्य में सत्ता के लिए सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी के बीच में कड़ा मुकाबला है। लेकिन इन विधानसभा चुनावों में क्षेत्रीय दलों और निर्दलीय को मिलने वाला जन समर्थन भी काफी अहम है। यह दोनों बड़े खिलाड़ियों में से किसी के लिए भी खेल बिगाड़ने की पूरी संभावना रखता है।
हाल ही में खत्म हुए लोकसभा इलेक्शन में बीजेपी को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। इस बार के चुनाव में बीजेपी को 10 सीटों में से केवल पांच ही सीटें मिली थी, लेकिन बची हुई सीटें कांग्रेस पार्टी के खाते में चली गई। सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं को उम्मीद है कि तीसरे खिलाड़ी अब ज्यादा वोट खींचने में कामयाब होंगे। ऐसा ज्यादातर विधानसभा चुनाव में देखने को मिलता है।
कांग्रेस नेताओं को भरोसा है कि राष्ट्रीय मुद्दों और मोदी फैक्टर की गैरमौजूदगी में 1 अक्टूबर को होने वाले राज्य चुनावों में बीजेपी से दूर वोटरों की लामबंदी और ज्यादा जोर पकड़ेगी। पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत सिंह चौटाला की जेजेपी, इंडियन नेशनल लोकदल और बहुजन समाज पार्टी का अलायंस और कई निर्दलीय उम्मीदवार भी साल 2019 के विधानसभा चुनाव में जीते थे। लोकसभा चुनावों में छोटे-मोटे खिलाड़ियों तक सीमित रहने के बाद में सभी अपनी मौजूदगी दर्ज कराने की पूरी कोशिश में लगे हुए हैं।
दुष्यंत चौटाला और अभय सिंह चौटाला का मुख्य फोकस जाटों पर रहता है। इसलिए बीजेपी का मानना है कि वे गैर बीजेपी वोटों में कटौती करेगी। इस समुदाय ने लोकसभा इलेक्शन में बड़े पैमाने पर कांग्रेस को वोट दिया था। 26 फीसदी से ज्यादा आबादी के साथ जाट हरियाणा में सबसे बड़ी जाति है। बहुजन समाज पार्टी का घटता समर्थन मुख्यतौर पर दलितों के एक वर्ग तक ही सीमित रह गया है। यह लोकसभा इलेक्शन में बड़ी संख्या में बीजेपी से दूर चले गए थे।
क्षेत्रीय पार्टियां वोट कटवा- भूपेंद्र सिंह हुड्डा
हाल ही में पीटीआई को दिए गए एक इंटरव्यू में कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने क्षेत्रीय पार्टियों को वोट कटवा कहा था। उन्होंने कहा था कि कोई भी उन्हें वोट नहीं देगा। उन्होंने यह भी कहा कि जेजेपी को लोकसभा इलेक्शन में एक फीसदी से भी कम वोट मिले थे। पिछले विधानसभा चुनावों में इसने लगभग 15 फीसदी वोट और 10 सीटें जीतीं थी। जेजेपी अपने खुद को बचाने की लड़ाई लड़ रही है। अब उसके पास केवल तीन ही वफादार विधायक बचे हुए हैं। इनमें दुष्यंत सिंह चौटाला और उनकी मां नैना सिंह चौटाला दो हैं। विधानसभा चुनाव अभियान में शामिल बीजेपी नेताओं ने भरोसा जताते हुए कहा कि चुनाव की तारीख नजदीक आने पर पार्टी के पारंपरिक गैर-जाट वोटों का एकीकरण होगा।
बीजेपी को कांग्रेस के अंदर गुटबाजी का फायदा मिलने की उम्मीद
राज्य विधानसभा में 90 सीटें हैं। अगर बीजेपी को कांग्रेस के अंदर गुटबाजी से भी फायदा मिलने की उम्मीद है, तो पार्टी के लिए चिंता की बात यह है कि विधानसभा चुनावों में उसका वोट शेयर अक्सर लोकसभा चुनावों से काफी कम हो जाता है। 2014 में हरियाणा में अपना पहला बहुमत हासिल करने के बाद बीजेपी 2019 में 40 सीटों पर सिमट गई और जेजेपी के समर्थन से सरकार बनाई। बीजेपी ने हरियाणा चुनाव के लिए केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को चुनाव प्रभारी और त्रिपुरा के सीएम बिप्लब कुमार देब को सह प्रभारी नियुक्त किया है।