हरियाणा (Haryana) के गुरुग्राम (Gurugram) में हरियाणा रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (HRERA) ने 18 नवंबर, 2022 को एक कपंनी के निदेशक SA को एक अवमानना मामले में 60 दिनों के कारावास की सजा सुनाई थी। हालांकि बाद में दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया।
सजा सुनाए जाने के बाद कुछ दिन बाद 24.11.2022 को पारित आदेश के अनुसार, रेस्पॉन्डेंट्स में से एक द्वारा 23.11.2022 को ‘सेटलमेंट एग्रीमेंट’ के अनुसार, 10 लाख रुपये की राशि में से 8,77,500 रुपये ट्रिब्यूनल में जमा कर रेस्पॉन्डेंट्स को जारी करने का आदेश दिया गया, और बाकी 1,22,500 रुपये रेस्पॉन्डेंट्स को भुगतान किए गए।
18 नवंबर, 2022 को ट्रिब्यूनल ने क्या आदेश दिया था?
निर्णायक अधिकारी (एओ) राजेंद्र कुमार ने सजा सुनाई थी। उन्होंने अपने आदेश में कहा था, “SA को 60 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में रखने और हिरासत के 60वें दिन एओ के समक्ष पेश करने के लिए अधिकृत हैं।”
इससे पहले 31 अक्टूबर को एओ कोर्ट ने SA को 21 दिसंबर 2022 या उससे पहले पेश करने के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।
बता दें, रेरा कोर्ट ने SA से संंबंधित प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को शिकायतकर्ता को 27,30,376 रुपये की राशि का भुगतान करने का आदेश दिया था, लेकिन इसका भुगतान नहीं किया गया।
तब कंपनी के निदेशकों को डिक्री को संतुष्ट करने के लिए अपनी संपत्ति के विवरण बताते हुए एक हलफनामा दायर करने के लिए कहा गया था, लेकिन एक अवसर देने के बावजूद वे सहायक अधिकारी के आदेशों की जानबूझकर अवज्ञा करते रहे और जवाब नहीं दिया।
साल 2013 का था केस
मामला जनवरी 2013 का है, जब शिकायतकर्ता गरिमा गुप्ता ने एक यूनिट बुक की थी और एक एग्रीमेंट किया था। प्रमोटर को जुलाई 2016 में पजेशन सौंपना था, लेकिन वह ऐसा नहीं किया गया। इसके बाद आवंटी ने नवंबर 2018 में रेरा कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि प्रमोटर ने पजेशन में देरी की।
प्राधिकरण ने पीड़ित आवंटी के पक्ष में एक आदेश पारित किया था, जिसमें बिल्डर को शिकायतकर्ता द्वारा भुगतान की गई राशि पर देरी के हर महीने के लिए ब्याज का भुगतान करने के लिए कहा गया था।
बाद में दोनों पक्षों में हुआ समझौता
24.11.2022 को पारित आदेश के अनुसार, रेस्पॉन्डेंट्स में से एक द्वारा 23.11.2022 को ‘सेटलमेंट एग्रीमेंट’ के अनुसार, 10 लाख रुपये की राशि में से 8,77,500 रुपये ट्रिब्यूनल में जमा कर रेस्पॉन्डेंट्स को जारी करने का आदेश दिया गया, और बाकी 1,22,500 रुपये रेस्पॉन्डेंट्स को भुगतान किए गए। ऑर्डर में कहा गया है कि चूंकि रेस्पॉन्डेंट्स पूरी तरह से संतुष्ट थे और उन्हें कोई आपत्ति नहीं थी, इसलिए अपीलकर्ता को तत्काल सिविल कारावास से रिहा कर दिया गया। अपीलकर्ता द्वारा 7.3.2025 को ईमेल द्वारा इसकी सूचना दी गई है।