आंध्र प्रदेश की तर्ज पर हरियाणा सरकार ने भी राज्य में निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय लोगों को 75 फीसदी तक आरक्षण देने का ऐलान किया है। हालांकि यह आरक्षण एक निश्चित सैलरी स्लैब तक सीमित होगा। हरियाणा विधानसभा ने हाल ही में हरियाणा स्टेट एंपलोएमेंट ऑफ लोकल कैंडिडेट बिल, 2020 को मंजूरी दी है। हालांकि निजी क्षेत्र की कंपनियों को इस बिल के कानून बनने पर परेशानी हो सकती है और इसे कानूनी तौर पर चुनौती भी दी जा सकती है!

सभी कंपनियां, सोसाइटी, ट्रस्ट, पार्टनरशिप फर्म और कोई भी व्यक्ति जो 10 लोगों को रोजगार देता है, वह इस बिल के अंतर्गत आएंगे। बिल के अनुसार, जो कंपनी कंपनीज एक्ट, 2013 के तहत रजिस्टर्ड है या कोई सोसाइटी, जो हरियाणा रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन ऑफ सोसाइटीज एक्ट के तहत रजिस्टर्ड है उन पर यह बिल लागू होगा। इसी तरह लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप एक्ट, 2008 के तहत रजिस्टर लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप फर्म और ट्रस्ट जो इंडियन ट्रस्ट एक्ट, 1882 के तहत रजिस्टर्ड है उस पर भी यह बिल लागू होगा।

इसी तरह इंडियन पार्टनरशिप एक्ट, 1932 के तहत कोई भी पार्टनरशिप फर्म और सरकार द्वारा अधिसूचित की जाने वाला उपक्रम जिसमें 10 या ज्यादा लोग काम करते हैं, वो भी इस बिल के अंतर्गत आएगा।

हरियाणा के निवासियों को ही स्थानीय उम्मीदवार माना जाएगा और आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। इस बिल के मुताबिक जरुरी नहीं है कि सभी नियोक्ताओं को 50 हजार या उससे कम की सैलरी वाले पदों पर भी 75 फीसदी स्थानीय लोगों को रोजगार देना है। लेकिन नियोक्ताओं को 10 फीसदी कर्मचारी उसी जिले से लेने होंगे। कंपनी चाहे तो 10 फीसदी से ज्यादा स्थानीय लोगों को रोजगार दे सकती है।

निजी कंपनियां या प्रतिष्ठान स्थानीयों को 75 फीसदी आरक्षण में छूट की भी अपील कर सकते हैं। हालांकि इसकी प्रक्रिया काफी लंबी होगी और सरकारी अधिकारियों के संतुष्ट होने के बाद ही किसी कंपनी या फर्म को आरक्षण के नियम में छूट दी जाएगी।

वहीं हरियाणा के कई उद्योगपतियों ने संबंधित अधिकारियों और सरकारी संस्थाओं को बताया है कि सरकार के इस फैसले से राज्य में उद्योगों पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। जजपा विधायक राम कुमार गौतम ने भी विधानसभा में इस बिल का पुरजोर विरोध किया और कहा कि यदि अन्य राज्यों ने भी इसी तरह से आरक्षण व्यवस्था लागू कर दी तो इससे देश में काफी दिक्कत हो सकती है।

विपक्षी विधायकों द्वारा कहा गया है कि यह बिल संविधान के आर्टिकल 16 ता उल्लंघन करता है। लेकिन हरियाणा सरकार का कहना है कि आर्टिकल 16 सरकारी नौकरियों के संबंध में बात करता है लेकिन मौजूदा बिल सिर्फ निजी क्षेत्र के संबंध में है।