Haryana Doctors Dress Code Policy: हरियाणा सरकार ने गुरुवार को राज्य के सरकारी अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टरों के लिए एक नई ड्रेस कोड नीति की घोषणा की है। ताकि समानता लाई जा सके और मरीजों को स्टाफ सदस्यों की पहचान करने में मदद मिल सके। डॉक्टरों की नई ड्रेस कोड नीति के अनुसार, महिला डॉक्टर डेनिम जींस, प्लाजो पैंट, बैकलेस टॉप और स्कर्ट पहनने पर बैन लगाती है। साथ ही मेकअप या भारी आभूषण नहीं पहन सकती हैं। वहीं पुरुष डॉक्टर अपने शर्ट के कॉलर से अधिक लंबे बाल नहीं रख सकते हैं। सरकार की यह पॉलिसी अन्य बातों के साथ-साथ महिला डॉक्टरों को अपने नाखून लंबे करने से भी रोकती है।

Continue reading this story with Jansatta premium subscription
Already a subscriber? Sign in

नौ फरवरी को जारी इस पॉलिसी की जानकारी राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों को दे दी गई है। इसमें कहा गया है कि ड्रेस कोड का पालन नहीं करने वाले को ड्यूटी से अनुपस्थित माना जाएगा। साथ ही उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

डॉक्टरों और मरीजों के बीच अंतर करना हो रहा था मुश्किल: स्वास्थ्य मंत्री

हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से जब पूछा गया कि इस ड्रेस कोड को क्यों लाया गया। इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अस्पतालों में डॉक्टरों और मरीजों के बीच अंतर करना मुश्किल हो जाता है, इसलिए स्टाफ मेंबर्स के लिए ड्रेस कोड लागू किया गया है। यह स्टाफ के सदस्यों के दृष्टिकोण को बढ़ाएगा और रोगियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्राप्त करने में मदद करेगा।

निजी अस्पताल के सभी डॉक्टर ड्रेस कोड में रहते: अनिल विज

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि ड्रेस को बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले राज्य के स्वास्थ्य विभाग के साथ एक बैठक हुई थी, जिसमें मैंने कहा था कि अस्पताल के कर्मचारियों को एक समान ड्रेस कोड का पालन करना चाहिए। जब भी हम किसी निजी अस्पताल में जाते हैं तो अस्पताल का एक भी स्टाफ बिना ड्रेस के नहीं दिखता, जबकि सरकारी अस्पतालों में अस्पताल के स्टाफ को पहचानना मुश्किल हो जाता है।

पॉलिसी में सुरक्षा कर्मचारियों, वाहन चालकों, स्वच्छता कर्मचारियों और रसोई में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए एक ड्रेस कोड शामिल है।
अस्पताल के कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से अपने नाम और पदनाम वाले नेम-टैग लगाने को कहा गया है। नर्सिंग विभाग को छोड़कर सफेद शर्ट और काली पतलून पहनी जा सकती है। रंग-समन्वित ड्रेस-कोड के लिए राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने निर्णय लेने के लिए सिविल सर्जनों को अधिकृत किया है।