हरियाणा कैबिनेट ने जाटों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण प्रदान करने के लिए सोमवार (28 मार्च) को एक विधेयक को मंजूरी दे दी। पिछले महीने आरक्षण की मांग को लेकर हिंसक प्रदर्शन हुए थे। जाटों ने अपनी मांग पूरी करने के लिए सरकार को तीन अप्रैल तक का समय दिया था। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जाटों और चार अन्य जातियों को आरक्षण देने पर मसौदा विधेयक को यहां मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दे दी गई। विधेयक को विधानसभा के वर्तमान बजट सत्र में लाए जाने की संभावना है जो 31 मार्च तक चलेगा।
भाजपा सरकार ने आश्वासन दिया था कि वह बजट सत्र में विधेयक लाएगी। जाट नेताओं ने घोषणा की थी कि यदि सरकार विधेयक पारित करती है तो तीन अप्रैल तक कोई प्रदर्शन नहीं किया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि विधेयक पिछड़ा वर्ग श्रेणी में नया वर्गीकरण कर जाटों, चार अन्य जातियों…जाट सिख, रोर, बिश्नोई और त्यागियों को आरक्षण देने की बात कहता है। उन्होंने बताया कि सरकार इन समुदायों के लिए शिक्षण संस्थानों तथा तृतीय श्रेणी और चतुर्थ श्रेणी की सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण उपलब्ध कराना चाहती है।
सूत्रों ने कहा कि सरकार ने प्रथम और द्वितीय श्रेणी की नौकरियों में इन जातियों के लिए छह प्रतिशत आरक्षण प्रस्तावित किया है। उन्होंने बताया कि जाटों को आरक्षण देने के अतिरिक्त हरियाणा सरकार ने स्थाई हरियाणा पिछड़ा वर्ग आयोग की स्थापना के लिए अलग से एक विधेयक लाना भी प्रस्तावित किया है। जाट नेता मौजूदा पिछड़ा वर्ग (बीसी) श्रेणी में आरक्षण दिए जाने की मांग कर रहे हैं। बीसी कोटा दो श्रेणियों…बीसी-ए और बीसी-बी में विभाजित है जिनमें क्रमश: 16 और 11 प्रतिशत आरक्षण है।
जाटों ने पिछले महीने बीसी श्रेणी में आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन शुरू किया था। आंदोलन हिंसक हो गया था जिसमें 30 लोग मारे गए थे और 320 अन्य घायल हुए थे। इसमें बड़े पैमाने पर संपत्ति का नुकसान हुआ था। जाट नेताओं ने सरकार से कहा है कि यदि आरक्षण 50 प्रतिशत की सीमा से बाहर जाता है तो सरकार को प्रस्तावित विधेयक को न्यायिक समीक्षा से बचाने के लिए उसे संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करना चाहिए। अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष यशपाल मलिक ने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि जो भी विधेयक लाया जाए, वह कानूनी रूप से मजबूत होना चाहिए।’’