हरीश रावत के तेवर अब नरम पड़ते दिखाई दे रहे हैं। पार्टी आलाकमान के दखल के बाद उन्होंने अपने बयान पर यूटर्न लेते हुए कहा कि मेरे ट्वीट्स तो रोजमर्रा जैसे ही थे, वहीं बीजेपी ने उत्तराखंड कांग्रेस की तनातनी पर तंज कसते हुए पूर्व मुख्यमंत्री का एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वह लाफिंग इमोजी के इस्तेमाल के साथ पूछ रहे हैं कि क्या हरदा मानेंगे। बताते चलें कि हरीश रावत को उनके करीबी ‘हरदा’ कहते हैं।
हरीश रावत ने ट्वीट कर कहा कि मेरा ट्वीट रोजमर्रा जैसा ही ट्वीट है, मगर आज अखबार पढ़ने के बाद लगा कि कुछ खास है, क्योंकि भाजपा और आप पार्टी को मेरी ट्वीट को पढ़कर बड़ी मिर्ची लग गई है और इसलिये बड़े नमक-मिर्च लगाये हुये बयान दे रहे हैं। आनन-फानन में कांग्रेस आलाकमान ने रावत सहित उत्तराखंड के बड़े नेताओं को दिल्ली बुला लिया है। इस बीच रावत के तेवर नरम दिखाई दिए।
हरीश रावत ने बुधवार को यह कहते हुए सियासी हलकों में हडकंप मचा दिया कि पार्टी संगठन उनके साथ कथित तौर पर असहयोग कर रहा है और उनका मन सब कुछ छोडने को कर रहा है। प्रदेश कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री रावत ने ट्वीट किया, ‘‘ है न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है, संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है ।’’
जब इस ट्वीट के बारे में रावत के मीडिया सलाहकार सुरेंद्र कुमार से संवाददाताओं ने पूछा तब उन्होंने कहा कि पार्टी के अंदर की कुछ ताकतें उत्तराखंड में पार्टी की संभावनाओं को प्रभावित करने के लिए भाजपा के हाथों में खेल रही हैं । उन्होंने कहा, ‘‘उत्तराखंड में हरीश रावत का कोई विकल्प नहीं है । वह प्रदेश में सर्वाधिक लोकप्रिय नेता हैं जिन्होंने पार्टी के झंडे को उठाकर रखा है । लेकिन कुछ ताकतें राज्य में कांग्रेस की सत्ता में वापसी की संभावनाओं को समाप्त करने के लिए भाजपा के हाथों में खेल रही हैं ।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या रावत की परेशानी का संबंध उत्तराखंड में पार्टी मामलों के प्रभारी देवेंद्र यादव से संबंध है, कुमार ने कहा, ‘‘देवेंद्र यादव हमारे प्रभारी हैं । उनकी भूमिका पंचायती प्रमुख की है । लेकिन पंचायती प्रमुख अगर पार्टी कार्यकर्ताओं के हाथ बांधना शुरू कर देंगे और पार्टी की चुनावी संभावनाओं को नुकसान पहुंचाएंगे, तो हाई कमान को इसका संज्ञान लेना चाहिए ।’’
यादव और हरीश रावत के एक दूसरे से अच्छे संबंध नहीं बताए जाते हैं । जहां रावत समर्थकों का कहना है कि 2022 विधानसभा चुनाव उनके नेतृत्व में लडे़ जा रहे हैं वहीं यादव यह कहते रहे हैं कि आगामी चुनाव पार्टी सामूहिक नेतृत्व में लडेगी ।